नदी किनारे नई जिंदगी की शुरुआत
बिहार के वैशाली जिले में एक शाम, दो दोस्त मुकेश और राजीव नदी के किनारे एक पुराने पीपल के पेड़ के नीचे बैठे थे। मौसम उदास था, और दोनों अपने-अपने जीवन की बातें कर रहे थे। अचानक, पुल से तेज आवाज आई—जैसे कोई भारी चीज पानी में गिर पड़ी हो। दोनों चौंक गए। मुकेश ने देखा कि एक लड़की ने नदी में छलांग लगा दी थी। बिना एक पल गंवाए, मुकेश ने अपनी चप्पल उतारी और तेज बहाव वाली नदी में कूद पड़ा।
ठंडा पानी, तेज धारा और लड़की की बेहोशी—मुकेश ने बड़ी मुश्किल से उसे किनारे तक खींचा। राजीव भी दौड़ आया और दोनों ने मिलकर लड़की को सुरक्षित बाहर निकाला। उसकी सांसें कमजोर थीं, चेहरा पानी से भीगा था। मुकेश ने तुरंत सीपीआर दी। कुछ देर बाद लड़की ने आंखें खोली और खांसते हुए बोली, “तुमने मुझे क्यों बचाया?” उसकी आवाज में गहरा दर्द था। मुकेश और राजीव ने उसे संभाला। लड़की फिर से नदी में जाने लगी, लेकिन मुकेश ने उसे रोक लिया। “जिंदगी से भागना हल नहीं है,” उसने कहा।
लड़की वहीं बैठ गई और फूट-फूटकर रोने लगी। मुकेश ने पूछा, “क्या हुआ, बताओ? हम तुम्हारे दोस्त हैं।” लड़की ने कांपते होठों से अपना नाम बताया—पूनम। उसने बताया कि उसकी मां की मौत के बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली मां ने उसे कभी बेटी नहीं माना, घर के कामों में झोंक दिया। बचपन से ही पूनम को ताने, मार और तिरस्कार मिला। उसके पिता भी चुप रहते थे, कभी उसका पक्ष नहीं लेते थे।
पूनम ने बताया, “मैंने सपने देखे थे, पढ़ाई करना चाहती थी। लेकिन सौतेली मां ने ऐसा तमाशा किया कि पापा ने भी मना कर दिया। मेरी जिंदगी बस घर के कामों और तानों में सिमट गई।” पूनम की बात सुनकर दोनों दोस्तों की आंखें भर आईं। मुकेश ने उसका हाथ थामा, “अब और नहीं। अब तुम्हारे साथ कोई अन्याय नहीं होगा।”
राजीव ने भी कहा, “तू हमारे साथ चल, हम तुझे अकेला नहीं छोड़ेंगे।” पूनम की आंखों में पहली बार हल्की सी उम्मीद दिखी। मुकेश ने कहा, “मैं सिर्फ हमदर्दी नहीं चाहता, बल्कि चाहता हूं कि तुम्हारा भविष्य बेहतर हो। अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें अपनी जिंदगी का हिस्सा बना सकता हूं।” पूनम और राजीव दोनों हैरान रह गए। मुकेश ने पूनम के पिता को फोन किया, लेकिन उन्होंने बेरुखी से जवाब दिया। अब मुकेश ने फैसला किया—यह मामला पुलिस तक जाएगा।
तीनों थाने पहुंचे। पुलिस ने पूनम की शिकायत दर्ज की और उसके पिता व सौतेली मां को बुलाया। थाने में पूनम ने साहस दिखाया, “मैं अब और नहीं सह सकती। मुझे न्याय चाहिए।” पुलिस ने सख्ती से बात की, सौतेली मां ने इंकार किया लेकिन इंस्पेक्टर ने धमकी दी। पूनम के पिता ने कहा, “हम इसे घर ले जाएंगे।” लेकिन मुकेश ने बीच में ही रोक दिया, “अब यह मेरी जिम्मेदारी है। मैं पूनम से शादी करना चाहता हूं।”
सब हैरान रह गए। पूनम की आंखों में पहली बार सुकून की झलक थी। पुलिस ने पूछा, “क्या तुम अपनी मर्जी से शादी करना चाहती हो?” पूनम ने मुस्कुराकर हामी भर दी। थाने में ही सादगी भरी शादी हुई। पूनम ने मुकेश को वरमाला पहनाई, और उसकी आंखों के आंसू अब सुकून के थे।
मुकेश अपने घर पहुंचा, मां-बाप को सब बताया। मां ने पूनम को गले लगाया, “बेटी अब यह घर तेरा है।” पूनम की जिंदगी बदल गई। अब वह घर की रानी थी, जहां उसे प्यार और सम्मान मिला। मुकेश उसका सबसे अच्छा दोस्त बना रहा। कुछ साल बाद पूनम मां बनी, पूरे घर की मुस्कान उसकी गोद में थी।
एक दिन उसके पिता पछतावे के साथ लौटे, पूनम ने उन्हें गले लगा लिया। सौतेली मां का अंत तिरस्कार में हुआ, लेकिन पूनम ने कभी शिकायत नहीं की। वह जान चुकी थी—माफ कर देना ही सबसे बड़ी सजा है। अब वह अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रही थी।
दोस्तों, कभी-कभी जिंदगी हमें ऐसे मोड़ पर लाती है जहां टूटना आसान लगता है। लेकिन अगर कोई सही वक्त पर हाथ थाम ले, तो वही जिंदगी नई शुरुआत बन जाती है।