Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Friday, October 10
    • Lifestyle
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Life Collective
    • Home
    • Lifestyle
    • Leisure

      My husband insulted me in front of his mother and sister — and they clapped. I walked away quietly. Five minutes later, one phone call changed everything, and the living room fell silent.

      27/08/2025

      My son uninvited me from the $21,000 Hawaiian vacation I paid for. He texted, “My wife prefers family only. You’ve already done your part by paying.” So I froze every account. They arrived with nothing. But the most sh0cking part wasn’t their panic. It was what I did with the $21,000 refund instead. When he saw my social media post from the same resort, he completely lost it…

      27/08/2025

      They laughed and whispered when I walked into my ex-husband’s funeral. His new wife sneered. My own daughters ignored me. But when the lawyer read the will and said, “To Leona Markham, my only true partner…” the entire church went de:ad silent.

      26/08/2025

      At my sister’s wedding, I noticed a small note under my napkin. It said: “if your husband steps out alone, don’t follow—just watch.” I thought it was a prank, but when I peeked outside, I nearly collapsed.

      25/08/2025

      At my granddaughter’s wedding, my name card described me as “the person covering the costs.” Everyone laughed—until I stood up and revealed a secret line from my late husband’s will. She didn’t know a thing about it.

      25/08/2025
    • Privacy Policy
    Life Collective
    Home » प्रयागराज के महाकुंभ मेले में बहू ने जब अपने 7 साल पहले ‘मरे पति को बाबा के भेष में देखा तो बहू की डर के मारे सांसें ऊपर नीचे होने लगी 7 साल पहले वह एक्सीडेंट था या कोई प्लान की हुई हत्या
    India Story

    प्रयागराज के महाकुंभ मेले में बहू ने जब अपने 7 साल पहले ‘मरे पति को बाबा के भेष में देखा तो बहू की डर के मारे सांसें ऊपर नीचे होने लगी 7 साल पहले वह एक्सीडेंट था या कोई प्लान की हुई हत्या

    rinnaBy rinna10/10/202516 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    कहानी का नाम: जैसी करनी, वैसी भरनी

    पिछले कई दिनों से भूख और थकान से मेरा शरीर टूट चुका था। मेरे पास ना तो पैसे थे और ना ही खाने को कुछ। मजबूरी में मैंने भीख माँगना शुरू कर दिया, हर घर के दरवाज़े पर जाकर उम्मीद से खड़ी होती, शायद कोई मेरी हालत पर तरस खा ले।

    उस दिन मैं एक बहुत बड़े घर के सामने पहुँची। उसकी ऊँची दीवारें और बड़ा गेट देखकर मुझे लगा कि यहाँ से कुछ अच्छा मिलेगा। मैंने धीरे-धीरे गेट खटखटाया। दरवाज़ा खुला और सामने जो आदमी खड़ा था, उसे देखते ही मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। यह वही आदमी था जिसने कुछ दिन पहले एक सुनसान सड़क पर मुझे पकड़ने की कोशिश की थी। उसकी आँखों में वही खतरनाक चमक थी। मैंने घबराकर पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरे हाथ को कसकर पकड़ लिया और अंदर खींच लिया।

    मैं डर से काँपते हुए उसके पैरों पर गिर पड़ी और रोने लगी। “मुझे छोड़ दीजिए,” मैं गिड़गिड़ाई, लेकिन उसकी आँखों में कोई दया नहीं थी। उसने मेरे साथ ऐसा किया जिसे मैं कभी भूल नहीं सकती। कई दिनों तक मुझे उस घर में बंद रखा और फिर एक दिन मुझे छोड़कर चला गया।

    मैं बहुत छोटी थी, बस इस दुनिया में अकेली रह गई। मेरी माँ का देहांत मेरे जन्म के दो साल बाद हो गया था। मेरे पास ना भाई था, ना बहन। माँ के जाने के बाद पापा ने मुझे संभालने की कोशिश की, लेकिन वे खुद बीमार रहने लगे। उनके फेफड़ों और जिगर से जुड़ी कई बीमारियों ने उन्हें कमज़ोर बना दिया। दादी के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उन्होंने पापा का इलाज कराने से साफ इंकार कर दिया। उनका कहना था, “जब वह कुछ कमाता ही नहीं, तो उसके लिए पैसे क्यों खर्च करें?” अगर दादी ने पापा का इलाज कराया होता तो शायद वे बच जाते, लेकिन दादी ने हमेशा पैसे को रिश्तों से ऊपर रखा। दादी ने चाचा को लालच देकर कह दिया, “अगर यह आदमी मर जाता है, तो इसका हिस्सा भी तुम्हारे नाम कर दूँगी।”

    पापा के मरने के बाद दादी और चाचा ने मुझे बहुत बुरा महसूस कराया। पापा ने एक बार मुझसे कहा था, “तुम्हारी माँ से मेरी शादी भले ही तय हुई थी, लेकिन हमारे बीच का प्यार किसी प्रेम विवाह से कम नहीं था।” पापा ने यह भी कहा था कि वह आज तक माँ को भूल नहीं पाए थे। लेकिन दादी और चाचा के व्यवहार ने उन्हें टूटने पर मजबूर कर दिया। यही वजह थी कि माँ के जाने के बाद पापा ने कभी दूसरी शादी नहीं की। वह मुझे अपनी गोद में छोड़कर इस दुनिया से चली गई थीं।

    लेकिन दादी और बुआ ने बचपन से ही माँ की गैर-मौजूदगी का खूब फायदा उठाया। उन्होंने कभी मुझे प्यार और अपनापन नहीं दिया। मेरे हर काम में केवल पापा ही मेरे साथ खड़े होते। पापा के गुज़रने के बाद उन्होंने मुझे घर से बाहर निकाल दिया। उस समय मैं केवल 10 साल की थी। उन्होंने मुझे पूरे घर का काम करने पर लगा दिया, पढ़ाई की उम्र में मुझे खाना पकाने के लिए मजबूर कर दिया गया। मेरे अपने ही मुझे तिरस्कार के साथ देख रहे थे।

    मेरी बुआ देखने में बहुत सुंदर थी, लेकिन मुझे वह हमेशा बहुत बुरी लगती थी। उन्होंने मुझे कभी अच्छा इंसान नहीं समझा। मेरी माँ की हर चीज़, चाहे वह उनके सामान हों या उनका कमरा, उन्होंने सब कुछ अपने हिस्से में ले लिया था। जब मेरी बुआ भी हमारे घर में रहने लगीं, तो उन्होंने दादी का साथ दिया।

    पापा के मरने के बाद, ताई ने घर की हर चीज़ पर अपना हक़ जताना शुरू कर दिया। दादी चुपचाप यह सब देखती रहीं और उन्होंने ताई का साथ दिया। यहाँ तक कि चाचा भी ताई से बहुत डरते थे। मुझे पढ़ाई का बहुत शौक था, लेकिन पापा के निधन के बाद मेरे पढ़ने के सपने चूर-चूर हो गए।

    ताई और दादी मुझे अपना दुश्मन मानती थीं और उन्होंने मुझे इस घर से निकालने का फैसला कर लिया था। उन्हें इस बात की चिंता थी कि अगर लोग यह जान गए कि उन्होंने मुझे घर से बाहर कर दिया है, तो उनकी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी। इसलिए मेरी ताई ने मुझे एक कोठे वाली के हवाले कर दिया। इसका मतलब था कि उन्होंने मुझे एक कोठे वाली को बेच दिया।

    उन्होंने आस-पड़ोस के लोगों से यह कहा कि मैं खुद ही घर से भाग गई हूँ। लेकिन सच्चाई यह थी कि उन्होंने उस कोठे वाली से मेरे लिए बहुत मोटी रकम ली थी। मुझे 11 साल की उम्र में कोठे पर बेच दिया गया। जब वह औरत मुझे लेने आई, तो पहले उसने मुझे बड़ी हैरानी से देखा। वह इस बात पर विश्वास ही नहीं कर पा रही थी कि एक माँ की जगह लेने वाली महिला अपनी ही बेटी जैसी लड़की को कोठे पर कैसे बेच सकती है। ताई ने दरवाज़ा बंद कर दिया। मैंने बहुत रोया, चाचा को आवाज़ दी, लेकिन कोई नहीं आया। उस औरत ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे गाड़ी में बैठा कर ले गई। उसने मुझसे कहा, “देख लड़की, इस दुनिया में तेरा कोई नहीं है। मेरे साथ चलोगी, तो हमेशा तेरा भला होगा।”

    हम एक पुरानी सी हवेली जैसे मकान पर पहुँचे। “यह कोठा है,” उसने कहा। “तेरी ताई ने मुझे तेरे लिए बहुत बड़ी रकम दी है। मैंने तेरी कीमत चुकाई है, और इसलिए अब मुझे उसका वसूल करना होगा।”

    मैं अवाक होकर खड़ी थी। अंदर अजीब सा माहौल था, कुछ औरतें मुस्कुरा रही थीं, कुछ लड़कियाँ मायूस चेहरों के साथ एक कोने में बैठी थीं। उस औरत ने मुझे एक कमरे में ले जाकर कहा, “यह तेरा कमरा है। जो कुछ भी मैं कहूँ, तुझे वही करना होगा।”

    मैं डर और गुस्से से काँप रही थी। “मुझे यहाँ नहीं रहना! मुझे मेरे घर वापस जाना है!”

    उसने हँसते हुए कहा, “तेरा घर? तेरे अपने ही तुझे यहाँ बेच गए हैं। अब तू मेरी है।”

    उस रात मैं रोते-रोते सो गई। मैंने खुद से वादा किया कि किसी भी हालत में मैं इस जगह से निकल कर रहूँगी। मैंने उन लड़कियों से दोस्ती करने की कोशिश की। उनकी कहानियाँ अलग थीं, लेकिन दर्द एक जैसा था। मैंने सीखा कि इस दुनिया में भरोसा करने लायक कोई नहीं है।

    एक दिन मैंने उस औरत से साफ कह दिया, “मैं वो काम नहीं करूँगी। मैं इस ज़िंदगी को नहीं अपनाऊँगी।”

    उसने मुझे गुस्से से देखा और कहा, “तूने जो खाना खाया है, जो कपड़े पहने हैं, उसकी कीमत चुकानी होगी। तू यहाँ से तभी जाएगी जब मैं चाहूँगी।”

    उस रात मैंने भागने की योजना बनाई। वह औरत मेरे सामने बैठी और कहने लगी, “देख बेटी, मैं तुम्हारी हालत देखकर दुखी तो हूँ, लेकिन मैं भी क्या कर सकती हूँ? कुछ लड़कियाँ यहाँ कोठे पर रहकर काम करती हैं और कुछ को बाहर भेजा जाता है।”

    कुछ दिनों बाद, एक बड़ा व्यापारी वहाँ आया। उसने सब लड़कियों को एक कतार में खड़ा करने का हुक्म दिया। जब उसकी नज़र मुझ पर पड़ी, तो उसने उस कोठे वाली से पूछा, “इस लड़की को यहाँ रखे हुए कितना समय हुआ है? और अभी तक इसका इंतज़ाम क्यों नहीं किया गया?”

    वह औरत डर के मारे कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। यह सुनते ही वह अमीर आदमी गुस्से में आ गया और उसने उस औरत को ज़ोर से थप्पड़ मार दिया। उसने आज ही मेरा काम शुरू करने का हुक्म दिया।

    रात में जब मुझे एक कमरे में भेजा गया और शराब के नशे में झूमता एक आदमी अंदर आया, तो मैं बुरी तरह डर गई। मैं हाथ जोड़कर उससे बार-बार कह रही थी, “कृपया मुझे छोड़ दीजिए! मैं आपकी बेटी जैसी हूँ!” लेकिन मेरी बातें उसका दिल नहीं पिघला सकीं।

    मैं चिल्ला रही थी, तभी अचानक दरवाज़ा खुला और वही औरत कमरे के अंदर आई। उस आदमी ने गुस्से में आकर कहा, “मैंने इसके लिए पैसे दिए हैं! फिर तुम मुझे क्यों परेशान कर रही हो?”

    उस औरत ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं साहब, मैं तो आपके लिए कुछ और बेहतर इंतज़ाम करने आई थी। देखिए आपके लिए शराब का कितना अच्छा इंतज़ाम किया है।”

    वह आदमी शराब पीने लगा और कुछ देर में बेहोश हो गया। मैंने राहत की साँस ली। उस औरत ने मुझे सहारा दिया और कमरे से बाहर ले गई।

    उसने कहा, “देख लड़की, अगर तुम यहाँ रही तो मैं तुम्हें बचा नहीं पाऊँगी। इससे तो अच्छा यही होगा कि तुम यहाँ से भाग जाओ।” उसने मेरे हाथ में कुछ पैसे रखे और कहा, “यह लो और यहाँ से भाग जाओ।”

    मैं बिना कुछ कहे तुरंत वहाँ से भाग निकली। आधी रात को नंगे पाँव सड़क पर दौड़ते हुए, चारों ओर सन्नाटा और अँधेरा था। मैं लगातार दौड़ती रही। अचानक कुछ दूरी पर मैं गिर पड़ी। कोने में एक शराबी आदमी दिखा, जो मेरी तरफ बढ़ा। मैं तुरंत वहाँ से भागने की कोशिश की, लेकिन वह आदमी तेज़ी से मेरे पीछे दौड़ने लगा। भागते-भागते मुझे सड़क के किनारे एक छोटी सी झोपड़ी दिखी। अपनी जान बचाने के लिए मैं वहाँ घुस गई।

    अंदर बहुत अँधेरा था, लेकिन मेरी चीख निकल गई। तभी एक औरत बाहर आई और डंडे से उसे मारने लगी। वह आदमी डर कर वहाँ से भाग गया। उस औरत ने मुझसे प्यार से पूछा, “तू ठीक तो है, बेटी?” मैंने रोते हुए उसे गले लगा लिया। ऐसा लगा जैसे आज मेरी माँ ने मुझे बचा लिया।

    सुबह उसने मुझसे मेरा नाम और मेरी कहानी पूछी। मैंने उसे अपना नाम कंचन बताया। उसने कहा, “अगर तुम चाहो तो यहाँ मेरे साथ रह सकती हो, लेकिन तुम्हें यहाँ काम करना होगा।”

    उसने कहा, “जो काम मैं करती हूँ, वही काम तुझे भी करना होगा। मैं भीख माँगती हूँ, इसलिए तुझे भी मेरे साथ भीख माँगनी होगी।”

    मैंने उस औरत को कंचन अम्मा कहना शुरू कर दिया, क्योंकि वह मेरे लिए माँ जैसी ही थी। इस तरह कई साल बीत गए, और मैं 18 साल की हो गई। अम्मा अक्सर कहती थी कि हमें अपना घर खरीदना होगा। “मैं बूढ़ी हो रही हूँ। अगर तेरा अपना घर होगा तो कोई तुझे बुरी नज़र से देखने की हिम्मत नहीं करेगा।”

    वह कहती, “अगर तुझे अपनी ज़िंदगी में कोई अच्छा और समझदार इंसान मिले, तभी शादी करना। वरना अकेले ही ज़िंदगी काट लेना। कम से कम ज़िंदा तो रहेगी।”

    फिर वह दिन भी आया जब अम्मा मुझे छोड़कर इस दुनिया से चली गईं। मैंने एक सुनसान जगह पर छोटी सी झोपड़ी बनाकर रहना शुरू कर दिया और अपनी जीविका के लिए भीख माँगना जारी रखा।

    एक दिन, मैं एक सुनसान जगह पर भीख माँग रही थी, तभी अचानक एक कार वहाँ आकर रुकी। जैसे ही वह आदमी कार से उतरा, उसकी अजीब निगाहों ने मुझे डरा दिया। मैं तुरंत पीछे हटने लगी, तभी वह आदमी चिल्लाते हुए मेरी ओर दौड़ा। किसी तरह मैंने अपनी जान बचाई और वहाँ से भाग गई।

    कुछ महीने बाद, मैं एक आलीशान घर के सामने भीख माँगने पहुँची। मैंने दरवाज़ा खटखटाया। एक आदमी ने दरवाज़ा खोला। उसने मुझसे कहा, “अंदर आओ।” तभी मुझे अचानक याद आया कि यह वही आदमी है जो उस दिन मुझे पकड़ने की कोशिश कर रहा था। मैं वहाँ से भागने लगी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उस आदमी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे अंदर खींच लिया।

    उसने कहा, “डर मत। यहाँ इस सोफे पर चुपचाप बैठ जाओ।” उस घर की सजावट देखकर मैं हैरान थी। फिर उसने मुझसे कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर मैं सन्न रह गई।

    उसने मुझसे पूछा, “क्या तुम मेरे बेटे से शादी करोगी?”

    मुझे लगा जैसे मैंने कुछ गलत सुन लिया हो। मैंने अपनी उलझन को दूर करने के लिए उससे फिर पूछा, “आपने क्या कहा?”

    उसने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने तुमसे पूछा कि क्या तुम मेरे बेटे से शादी करोगी।”

    मैंने उससे पूछा, “आप ऐसा क्यों चाहते हैं? क्या वजह है कि आप मुझे अपने बेटे की बहू बनाना चाहते हैं?”

    उस आदमी ने शांत भाव से कहा, “मुझे लगता है कि तुम एक ईमानदार और सच्चे दिल की लड़की हो। मैं चाहता हूँ कि मेरे बेटे को एक ऐसी पत्नी मिले जो उसे और हमारे परिवार को खुश रख सके।”

    अकेले रहने से मैं भी अब परेशान हो चुकी थी। जब मुझे किसी के साथ ज़िंदगी बिताने का मौका मिल रहा था, तो मैंने बिना सोचे समझे शादी के लिए हाँ कह दिया। उसने कहा, “कल सुबह तुम्हारी मेरे बेटे से शादी होगी।”

    शादी के सभी रस्मों की शुरुआत हुई। मेरे चेहरे पर घूँघट डाल दिया गया था, और मैं इंतज़ार कर रही थी कि वह लड़का कौन है जिससे मेरी शादी हो रही है। अब तक मैंने उसे देखा भी नहीं था। वह शख्स सेहरा पहने हुए था जो पूरी तरह फूलों से ढका हुआ था।

    जब शादी की सारी रस्में खत्म हुईं, तो मेरे ससुर ने मुझे वापस उसी कमरे में भेज दिया। कुछ समय बाद वे मेरे कमरे में आए और उन्होंने मुझे बताया, “कंचन, तुम्हारे पति ने एक व्रत लिया है। उन्होंने कहा है कि वह तीन महीने तक अपनी पत्नी से बिल्कुल नहीं मिलेंगे। वह एक ज़रूरी काम के लिए बाहर जा रहे हैं।”

    मैं थोड़ी हैरान हुई, लेकिन मैंने इस बात को स्वीकार कर लिया। दिन बीतते गए, लेकिन मेरे पति अब तक घर वापस नहीं लौटे थे। मैंने सोचा कि मुझे अपने पति को देखना चाहिए। मैं रात के समय चुपचाप उनके कमरे में गई। कमरे के अंदर सब कुछ बहुत व्यवस्थित था। मैंने अलमारी की दराज़ में कुछ फोटो देखे। मैंने उस फोटो को हाथ में उठाया, लेकिन तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कोई कमरे में आ रहा है। दरवाज़ा धीरे-धीरे खुला और मैंने देखा कि कमरे में हल्की सी रोशनी आई। मैं जल्दी से अलमारी के पीछे छिप गई। जो व्यक्ति कमरे में आया था, वह मेरे ससुर नहीं थे। कमरे में हल्की सी रोशनी थी और मैंने देखा कि वह लड़का फोन पर किसी से बात कर रहा था। उसके चेहरे पर अजीब सी पट्टी बंधी हुई थी। तभी मुझे अचानक याद आया कि मैंने इस लड़के को कहीं पहले देखा था। मैंने दिमाग पर ज़ोर दिया और फिर मुझे वह दिन याद आ गया।

    कुछ महीने पहले, मैं घर लौट रही थी। तभी मैंने देखा कि एक लड़का अपनी कार के पास खड़ा था। वह किसी से फोन पर बात कर रहा था। मैं धीरे-धीरे उस लड़के के पास गई। उसने मुझसे कहा, “तुम इतनी रात अकेली इस सुनसान सड़क पर क्या कर रही हो?”

    तभी मैंने एक अजीब सी आवाज़ सुनी। मैंने पलट कर देखा तो दो आदमी उस लड़के को कार के पास पीट रहे थे। मैं डर गई, लेकिन फिर मुझे अपनी अम्मा की बात याद आई। मेरे बैग में वह चाकू अब भी था। मैंने तुरंत अपना बैग खोला और चाकू निकाला। मैं तेज़ी से उन आदमियों की तरफ बढ़ी और चाकू से उन पर हमला कर दिया।

    आज जब मैंने उसे इस घर में देखा, तो मैं हैरान रह गई। वह वही लड़का था।

    कमरा घबराहट और शंका से भर गया। वह लड़का कौन था और मेरे ससुर के कमरे में क्या कर रहा था? मैंने अपने डर को भुलाकर ससुर के पास जाने का फैसला किया। जब वह मेरे कमरे में आए, तो मैंने सीधे उनसे पूछा, “वह लड़का जो आपके कमरे में था, वह कौन था?”

    ससुर के चेहरे पर थोड़ी सी परेशानी नज़र आई। “मुझे लगता है कि यह तुम्हारी आँखों का भ्रम है।”

    मैंने उनकी बातों को सुनते हुए कहा, “मैं सच कह रही हूँ। वह लड़का कौन था?”

    मेरे ससुर ने जो कहा, वह मेरे लिए बिल्कुल अप्रत्याशित था। वह बोले, “वह लड़का तुम्हारा पति है। और तुम उसी लड़के से शादीशुदा हो।”

    मेरे कानों में यह शब्द गूँज रहे थे, और मैं बिल्कुल अवाक हो गई। “क्या यह सच था? क्या वह लड़का जिसे मैंने उस दिन बचाया था, वही था जिसका मैं पत्नी बनी थी?”

    “तुमने मुझे यह सच्चाई क्यों छुपाई?”

    ससुर का चेहरा अब बिल्कुल बदल चुका था। उन्होंने धीमी आवाज़ में कहा, “वह गुंडे तुम्हारे पति के पुराने दुश्मन थे। उन्होंने उसे खत्म करने का पूरा प्लान बनाया था। लेकिन तुमने उस दिन उसकी मदद की, इसलिए वह बच पाया।”

    “हमारे परिवार में एक पुजारी है जो भविष्यवाणियाँ करते हैं। उन्होंने बताया कि अगर मैं अपने बेटे की शादी उसी लड़की से करवा दूँ जिसने उसकी जान बचाई थी, तो यह सारी मुसीबतें अपने आप खत्म हो जाएँगी। उस दिन जब मैंने तुम्हें देखा, तो मेरे बेटे ने कार में बैठे हुए मुझे बताया कि ‘पापा, यही वह लड़की है जिसने मेरी जान बचाई’।”

    उनकी बातों से मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे पूरी कहानी अब मेरी समझ में आ रही थी। “मैं जानता था कि तुम इस शादी को स्वीकार करोगी, क्योंकि कौन भिखारी लड़की ऐसी ज़िंदगी जीना चाहती है? मैं जानता था कि तुम एक अच्छा इंसान हो।”

    वह जारी रखते हुए बोले, “जब मेरे बेटे को तुमसे शादी करने की बात पता चली, तो वह बहुत खुश हुआ। उस दिन से ही वह तुम्हें पसंद करने लगा था। वह यह भी तय कर चुका था कि वह अपनी संपत्ति का आधा हिस्सा तुम्हारे नाम कर देगा, क्योंकि उसकी ज़िंदगी सिर्फ तुम्हारी वजह से बची है।”

    यह सब सुनकर मुझे ऐसा लगा कि जैसे ज़मीन मेरे नीचे से खिसक गई हो। मैं पीछे मुड़ी और देखा कि मेरे पति भी वहाँ खड़े थे। वह मेरे सामने आए और हाथ जोड़कर कहने लगे, “मुझे माफ कर दो। मैं तुमसे सच में बहुत प्यार करता हूँ। जो कुछ भी पापा ने तुम्हें बताया है, वह बिल्कुल सच है।”

    मैंने उनसे पूछा कि उन्होंने अपना चेहरा मुझसे क्यों छिपाया था। वह धीरे से मुस्कुराए और बोले, “अब तुम साफ-साफ देख सकती हो कि मेरे चेहरे पर कितनी पट्टियाँ बंधी हुई हैं। उस दिन मेरा चेहरा बुरी तरह से ज़ख्मी हो गया था। मैंने सोचा था कि मैं तुमसे इस खौफनाक चेहरे के साथ नहीं मिलूँगा। पहले मुझे पूरी तरह से इलाज करवाना था।”

    अब मेरी ज़िंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई यह थी कि कभी-कभी जो बातें हमें डराती हैं, वही हमारी सबसे बड़ी मदद बन जाती हैं। मुझे यह भी समझ में आया कि सच्चे रिश्ते वही होते हैं जो विश्वास और समझ के आधार पर बनते हैं। हमें विश्वास रखना चाहिए और मुश्किलों का सामना डटकर करना चाहिए, क्योंकि हर कठिन समय के बाद एक नया सूरज उगता है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleमेरी बेटी ने मुझे बुरी तरह पीटा और घायल छोड़ दिया। उसने मैसेज किया: “हमसे दूर रहो।” मैंने जवाब दियाः “ठीक है।” और फिर उनका नया घर का लोन बंद कर दिया। पाँच घंटे बाद… 30 मिस्ड कॉल्स!
    Next Article लैपटॉप खोला— मेरी फोटो के नीचे लिखा था “TARGET”… उसी रात बेटे ने कहाः “माँ, ये दवा ले लीजिए। “

    Related Posts

    लैपटॉप खोला— मेरी फोटो के नीचे लिखा था “TARGET”… उसी रात बेटे ने कहाः “माँ, ये दवा ले लीजिए। “

    10/10/2025

    मेरी बेटी ने मुझे बुरी तरह पीटा और घायल छोड़ दिया। उसने मैसेज किया: “हमसे दूर रहो।” मैंने जवाब दियाः “ठीक है।” और फिर उनका नया घर का लोन बंद कर दिया। पाँच घंटे बाद… 30 मिस्ड कॉल्स!

    10/10/2025

    89 साल के ससुर बिना किसी खर्चे के 20 साल तक हमारे साथ रहे। उनके निधन के बाद, जब एक वकील विस्फोटक खबर लेकर आया, तो मैं स्तब्ध रह गया…

    10/10/2025
    About
    About

    Your source for the lifestyle news.

    Copyright © 2017. Designed by ThemeSphere.
    • Home
    • Lifestyle
    • Celebrities

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.