Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Monday, October 13
    • Lifestyle
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Life Collective
    • Home
    • Lifestyle
    • Leisure

      My husband insulted me in front of his mother and sister — and they clapped. I walked away quietly. Five minutes later, one phone call changed everything, and the living room fell silent.

      27/08/2025

      My son uninvited me from the $21,000 Hawaiian vacation I paid for. He texted, “My wife prefers family only. You’ve already done your part by paying.” So I froze every account. They arrived with nothing. But the most sh0cking part wasn’t their panic. It was what I did with the $21,000 refund instead. When he saw my social media post from the same resort, he completely lost it…

      27/08/2025

      They laughed and whispered when I walked into my ex-husband’s funeral. His new wife sneered. My own daughters ignored me. But when the lawyer read the will and said, “To Leona Markham, my only true partner…” the entire church went de:ad silent.

      26/08/2025

      At my sister’s wedding, I noticed a small note under my napkin. It said: “if your husband steps out alone, don’t follow—just watch.” I thought it was a prank, but when I peeked outside, I nearly collapsed.

      25/08/2025

      At my granddaughter’s wedding, my name card described me as “the person covering the costs.” Everyone laughed—until I stood up and revealed a secret line from my late husband’s will. She didn’t know a thing about it.

      25/08/2025
    • Privacy Policy
    Life Collective
    Home » 14 साल की उम्र में मुझे वेश्यालय के बाजार में बेच दिया गया था तब मैं बहुत खूबसूरत थी इसलिए मेरी पहली रात की कीमत पांच लाख रुपए तय की गई फिर जब वह आदमी कमरे में आया तो मैं उसके पैरों में गिर पड़ी और बोली प्लीज कुछ मत करो लेकिन तभी अचानक उसकी नज़र मेरे सीने पर पड़ी और मैं चीखी..
    India Story

    14 साल की उम्र में मुझे वेश्यालय के बाजार में बेच दिया गया था तब मैं बहुत खूबसूरत थी इसलिए मेरी पहली रात की कीमत पांच लाख रुपए तय की गई फिर जब वह आदमी कमरे में आया तो मैं उसके पैरों में गिर पड़ी और बोली प्लीज कुछ मत करो लेकिन तभी अचानक उसकी नज़र मेरे सीने पर पड़ी और मैं चीखी..

    rinnaBy rinna13/10/2025Updated:13/10/202513 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    कहानी का नाम: उधार का चेहरा

    मेरा नाम वैशाली है। मेरी शादी ऐसे घर में हुई जहाँ मेरा पति विदेश में रहता था। इसी कारण सबको लगा कि मेरी किस्मत खुल गई है। ढीले आएंगी, तोहफे आएंगे और ज़िंदगी आराम से कटेगी। ऐसा सोचकर मेरे घरवाले बहुत निश्चिंत हो गए थे। खासकर मेरी माँ, जो अक्सर मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहती थी, “तेरी किस्मत ऊपर से ही चमक गई है जो तुझे परदेश जाने वाला लड़का मिला है।” मैं खामोश रहती थी, मुस्कुरा देती थी, पर मन में जो बेचैनी थी, वह किसी से कह नहीं पाई।

    जब विदाई का समय आया तो दिल अंदर से थोड़ा डर गया था। नए घर का माहौल कुछ अजीब सा था, एक उदासी सी थी, एक गहरा सन्नाटा। मेरे पति ने फोन पर दो-चार हल्की बातें ही की थीं, “ठीक से पहुँच गई हो?” और “माँ ने कहा था, अब इसे स्वीकार करो।” लेकिन असली सच्चाई तो तब सामने आई जब मैंने अपनी ननदों को देखा। पाँच लड़कियाँ थीं। सबकी आँखों में एक अजीब सा डर था, जैसे बरसों से रोशनी नहीं देखी हो। जब पहली बार मेरी अपनी ननदों से भेंट हुई तो वे कुछ नहीं बोल रही थीं, बस आँखें झुका कर चुपचाप बैठी थीं, जैसे बोलने की इजाज़त ही ना हो।

    मेरी सास का स्वभाव कुछ कटु था। उनके शब्दों में कभी मिठास महसूस नहीं हुई। शादी के एक हफ्ते बाद ही मेरे पति जब वापस विदेश लौट गए, तो ऐसा लगा जैसे किसी ने अकेलेपन की खबर मेरे सिर पर पटक दी हो। और फिर मेरी सास ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा, “अब तू इस घर की बड़ी बहू है। तुझे अपनी पति की बहनों की शादियाँ करवानी हैं और पूरे घर की ज़िम्मेदारी भी संभालनी है।”

    घर की ज़िम्मेदारी लेना तो ठीक था लेकिन शादियाँ करवाना मेरे लिए एक झटका था। जब मैंने कहा कि मैं शादियाँ करवा दूँगी तो सासू माँ ने कहा, “तुम्हीं अच्छे रिश्ते देखोगी। तुम्हारे चेहरे से किस्मत खुलती है।” उनकी आँखों में जो चमक थी, वह मुझे बेचैन कर गई।

    पहली बार जब बड़ी ननद के लिए रिश्ता आया तो मेरी सास ने मुझे कमरे में बुलाकर कहा, “जल्दी से तैयार हो जा, वही हरी साड़ी पहनना। और हाँ, बाल खुले रखना, थोड़ा मेकअप भी कर लेना ताकि तू अच्छे से दिखे।”

    “मैं भी तैयार होऊँ?” मैंने हैरानी से पूछा।

    “अरे बस तू तैयार हो जा, बाकी सब मैं देख लूँगी,” वह खुद शीशे के सामने खड़ी होकर खुद को संवार रही थीं।

    जब रिश्ता आया तो मुझे ही कमरे में बुलाया गया, जैसे मैं ही लड़की हूँ। सबकी नज़रें मुझ पर ही ठहर गईं। एक औरत ने कहा, “यह तो बहुत प्यारी है।”

    मेरी सास ने मुस्कुराकर कहा, “हाँ, बड़ी लाड़ से पाली है इसे।”

    यह सुनकर मेरे कान जैसे सुन्न हो गए। बड़ी लाड़ से पाली है इसे? मतलब क्या? यह रिश्ता तो मेरी ननद के लिए आया है। फिर यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है?

    बात आगे बढ़ती रही, रिश्ता पक्का हो गया। मैं आश्चर्यचकित और परेशान, बस सब कुछ देखती रही। और फिर जिस दिन विदाई हुई, उस दिन वह लड़की तो गई, पर रिश्ता मेरे चेहरे पर तय हुआ था।

    मैंने अपने पति को फोन किया। “यहाँ बहुत अजीब-अजीब बातें हो रही हैं,” मैंने कांपती आवाज़ में कहा। “आपकी मम्मी रिश्तेदारों के सामने मुझे बिठाती हैं, फिर अपनी बेटी के नाम से रिश्ता तय करती हैं।”

    उन्होंने कहा, “देखो, माँ जो कर रही हैं, वह सब सही है। उन्हें सब पता है। तुम चिंता मत करो, तुम्हारे लिए ही अच्छा कर रही हैं।”

    “मेरे लिए अच्छा?” मैं चिल्लाई। “यह झूठ, यह धोखा, कैसे सही हो सकता है?”

    “तुम अभी बहुत छोटी हो,” उन्होंने बेरुखी से कहा, “दुनिया की समझ नहीं है तुम्हें।” और इतना कहकर फोन काट दिया।

    मैं देर तक मोबाइल की स्क्रीन को देखती रह गई। अब मेरे पास ना आवाज़ थी, ना अधिकार। उसी रात मेरी सास मेरे कमरे में आई और बोली, “देख, तेरी तीन ननदें हैं, सबकी शादी करवानी है। अगर तू नहीं करेगी, तो किसी और को तेरी जगह लाना पड़ेगा। इसलिए त्याग कर, चुपचाप अपना काम कर।”

    “मम्मी जी, पर यह सब झूठ है! किसी की ज़िंदगी का सवाल है!”

    “झूठ-सच हम तुमसे ज़्यादा जानते हैं। तुम बस वही करो जो कहा जाए।”

    कुछ ही दिन बाद, जब मेरी दूसरी ननद, शारदा, के लिए रिश्ता आया, तो मेरी सास ने पूरे एल्बम में से मेरी तस्वीर निकाली और बोली, “यह रिश्ता तुझे दिखाकर तय करेंगे। तू साफ-सुथरी दिखती है। तुझे देखकर ही तो हमारे घर रिश्ते आते हैं।”

    मैं एक ऐसा चेहरा बन चुकी थी जिसे केवल किसी और के नाम पर जीत हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। कभी-कभी मेरी नींद टूटती तो पाती कि मेरी कोई ननद मेरे पास बैठी होती। एक बार धीरे से शारदा बोली, “भाभी, माफ कर देना। यह सब हम नहीं चाहते थे।”

    “तो तुम सब चुप क्यों हो?” मैंने पूछा। “अपने हक़ के लिए आवाज़ क्यों नहीं उठाते?”

    मेरी ननद की आँखों में आँसू आ गए। “क्योंकि माँ से कोई जीत नहीं सकता।”

    तब मुझे लगा कि सचमुच यहाँ सच्चाई कमज़ोर है और झूठ एक मज़बूत किला, जिसमें मैं कैद हूँ। मैं अपनी ननदों के करीब जाने की कोशिश करती, पर या तो मेरी सास बीच में आ जातीं या फिर मेरी ननदें ही नज़रें चुरा लेतीं। एक दिन मैंने शारदा से कहा, “मुझे तुमसे अकेले में बात करनी है।”

    वह एक पल को रुकी, मेरी ओर देखा और धीरे से बोली, “भाभी, बात करना मना है।”

    “क्यों? किसने मना किया?”

    “माँ ने। उन्होंने कहा है कि हम सिर्फ काम की बातें करें, बेकार की नहीं।”

    और फिर, एक और रिश्ता आया। “उन्होंने तेरी ही फोटो भेजी थी,” सास ने कहा। “लोग तुझे देखकर ही रिश्ता तय करते हैं। अब तू हमारी ज़मानत है।”

    शादी की खरीदारी मुझसे करवाई गई। दुकानदार भी हैरान था। “बहू अपनी बेटी के लिए खरीदारी कर रही है!” सास ने हँसते हुए कहा, “यह तो हमारी असली बेटी है। बाकी तो बस संयोग से पैदा हो गईं।”

    शादियों की तस्वीरों में मुझे खड़ा नहीं होने दिया जाता था। “बहू की तबीयत ठीक नहीं है,” सास फोटोग्राफर से कहतीं, “वह आराम कर रही है।”

    एक दिन बाज़ार में एक जान-पहचान वाली बुजुर्ग महिला मिलीं। उन्होंने चुपचाप पूछा, “अरे, सुना है तुम्हारी छोटी ननद की शादी हो गई? तस्वीर में তো तुम बहुत सुंदर लग रही थीं।”

    मैं चौंक गई, हल्की मुस्कान दी और कहा, “नहीं, आपको कोई गलतफहमी हुई होगी।”

    जब मैंने यह बात सास को बताई, तो उन्होंने ठंडी आवाज़ में कहा, “तू बस चुप रहना सीख। दुनिया को सुकून तभी मिलेगा।”

    मैंने ननदों के पुराने एल्बम में झाँका तो देखा, मेरी तस्वीर चुपचाप उसमें चिपकी हुई थी। हर रिश्ते में वही तस्वीर भेजी जाती थी और बात पक्की होते ही ननद आगे कर दी जाती थी। शादी के दिन भी, मेरी ननदों के चेहरे पर घूँघट कर दिया जाता था। मेरे मन में धीरे-धीरे एक सवाल उठने लगा: अगर एक दिन सच बाहर आ जाए तो क्या होगा?

    तूफान

    सुबह के सन्नाटे में, सास ने मुझे आवाज़ दी, “मेहमान आ रहे हैं, थोड़ा तैयार हो जा। और वही नीली साड़ी पहन लेना।” यह आखिरी ननद, सोनिया, के लिए था। वही मामूली बातें, चाय-नाश्ता, और सबकी नज़रें मेरे चेहरे पर। लड़के की माँ ने कहा, “बहुत प्यारी लड़की है। संस्कारी भी लगती है।”

    सास ने गर्व से जवाब दिया, “हमारी प्यारी बेटी, सोनिया है।”

    यह रिश्ता भी तय हो गया। मैंने रात को हिम्मत की और अपनी सास से बात करने की कोशिश की, “माँ, इस बार कुछ अजीब सा महसूस हो रहा है। लग रहा है कि यह लोग ठीक नहीं हैं।”

    उन्होंने गुस्से में जवाब दिया, “तुम्हारी इतनी औकात नहीं है कि हमें सिखाओ। याद रखना, अगर ज़्यादा बोली तो तुम्हारी ज़ुबान खींच ली जाएगी।”

    मैं चुप हो गई, लेकिन दिल के अंदर एक तूफान जल रहा था।

    एक दिन बाज़ार में, सोनिया की होने वाली सास ने मुझे देखा और बोलीं, “अरे, तुम तो पहली बार नहीं देखी गई हो। हमें जो लड़की दिखाई गई थी, वह तुम हो।”

    मैंने दिल पर हाथ रखा और वहाँ से निकल गई। शाम को मैंने यह बात सोनिया को बताई। उसकी आँखों में डर था। “भाभी, मुझे बहुत डर लग रहा है। मम्मी तो कह रही हैं कि सब संभाल लिया जाएगा।”

    शादी की रात करीब आ गई थी। बारात हमारे दरवाज़े पर पहुँची। मैं रसोई से हॉल में आई ही थी कि दूल्हे की माँ ने मुझे देख लिया, फिर घूँघट में सोनिया को, और ऊँची आवाज़ में बोली, “यह कौन है?”

    सास तुरंत आगे बढ़ीं, “यह हमारी छोटी बेटी, सोनिया है।”

    “पर हमें तो यह लड़की दिखाई गई थी!” लड़के के पिता ने सख्त लहजे में कहा, मेरी ओर इशारा करके। “हमने इसी लड़की के साथ रिश्ता तय किया था।”

    पूरे हॉल में सन्नाटा छा गया। लड़का भी आगे आया, “क्या हमारे साथ धोखा किया गया है?”

    लड़के के चाचा ने पुलिस बुलाने की धमकी दी। “आप लोगों ने हमारे साथ धोखाधड़ी की है!”

    सास मुझे एक तरफ ले गईं, “तुम्हें शादी के लिए तैयार होना पड़ेगा,” उन्होंने फुसफुसाकर कहा।

    मैं चौंक कर बोली, “क्या, माँ? मैं आपके बेटे की पत्नी हूँ!”

    “अब यह बातें मत करो। हम उन्हें बता देंगे कि गलती से कोई और लड़की सामने आ गई थी। असली दुल्हन तो तुम हो। तुम्हारा नाम सोनिया है। बस यही बोलना।”

    मुझे ज़बरदस्ती दुल्हन के कपड़े पहना दिए गए। शादी मेरी ननद की हो रही थी, लेकिन विदाई की तैयारी मुझे भेजने की हो रही थी। जब मेरी ननद की शादी हुई, तो विदाई के समय, मुझे उसी तरह के कपड़े पहनाकर भेज दिया गया।

    जब मैं कार में बैठी, मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। सास ने मेरे हाथ में एक छोटा सा बैग दिया और धीरे से कहा, “सच मत बोलना। बस दो दिन में लौट आना।”

    कार चली, और घूँघट के नीचे छिपी, मैं एक नए सफर की ओर निकल पड़ी।

    उस घर में प्रवेश करते हुए ऐसा लगा जैसे कोई अनजाना दरवाज़ा खोल रही हूँ। लड़के की माँ ने खुशी से अंदर बुलाया। थोड़ी देर बाद, वह लड़का, जिससे मेरी ज़बरन शादी की गई थी, अंदर आया। जैसे ही दरवाज़ा बंद हुआ, उसने मेरे बालों को पकड़ कर मुझे बिस्तर पर फेंक दिया। उसकी आँखों में केवल गुस्सा था। “तुम लोगों ने मेरी ज़िंदगी का मज़ाक बना दिया है!” वह चीखा।

    “सुनिए, प्लीज़ सुनिए,” मैं काँपती आवाज़ में बोली।

    “चुप रहो! तुम्हारे परिवार की हर सच्चाई मैंने निकाल ली है। तुम लोग क्या करते हो, कैसे करते हो, सब पता कर लिया है।”

    “मुझे नहीं पता था कि ऐसा होगा,” मैं रोते हुए बोली।

    “झूठ बोल रही हो तुम! अब मैं दुनिया को क्या मुँह दिखाऊँगा?”

    “प्लीज़ मुझे कुछ कहने दीजिए,” मैं रो पड़ी। “मैं उस घर की बहू हूँ, बेटी नहीं। मैं आपकी बीवी नहीं, आपकी बीवी की भाभी हूँ।”

    उसके चेहरे पर एक पल को हैरानी दौड़ गई। “क्या? तुम उसकी भाभी हो?”

    मैंने कहा, “हाँ। मेरी सास ने मुझे घूँघट में भेज दिया।”

    वह पीछे हटकर कुर्सी पर बैठ गया, दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ लिया। “तो फिर तुम यहाँ आने के लिए तैयार क्यों हुई?”

    “क्योंकि मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं था।”

    वह चुपचाप मुझे देखता रहा। “मैं तुम्हें हाथ भी नहीं लगाऊँगा,” उसने कहा। “लेकिन अभी तुम जा नहीं सकती।”

    उसने दरवाज़ा बंद कर दिया। मैं एक कोने में चादर लपेट कर चुपचाप रोने लगी।

    न्याय

    अगली सुबह, दरवाज़े पर दस्तक हुई। वह मेरी सास थीं। वह अंदर आईं और मुझे ज़मीन पर बैठे देखकर चौंक गईं। उन्होंने तुरंत अपना मोबाइल निकाला, मेरे पति को कॉल मिलाई और रोती हुई बोलीं, “बेटा, वैशाली यहाँ आ गई है! तुम्हारी बीवी ने तुम्हारी बहन के साथ धोखा किया है! शादी तो तेरी बहन की हुई थी और यह ज़बरदस्ती उसके पति के साथ भाग आई है!”

    मैं सब सुन रही थी और सह रही थी। मैंने विराट (वह लड़का) की ओर देखा और कहा, “यह सब झूठ है।”

    वह खामोश खड़ा था। मेरी सास अब फोन पर रोने लगीं। कॉल कट गई और मैं ज़मीन पर बैठ गई। सब कुछ खत्म हो चुका था।

    कुछ देर बाद विराट बोला, “तुम यहाँ से जा सकती हो। मैं जानता हूँ कि सच क्या है और समय आने पर मैं सब साफ कर दूँगा।”

    कुछ समय बाद, जब मैं अपने ससुराल के दरवाज़े पर पहुँची, तो किसी ने भी मुझसे कोई बात नहीं की। सोनिया ऐसे पीछे हट गई जैसे मैं कोई बीमारी हूँ।

    जब मैं अपने कमरे में गई तो देखा कि मेरा सामान समेटा जा चुका है, जैसे मैं इस घर का कभी हिस्सा ही नहीं थी। मैंने अपने पति को कॉल लगाया। उसने कहा, “अब बात करने को कुछ बचा नहीं। तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं आई?” उसने फोन काट दिया।

    आधे घंटे बाद, डाकिया दरवाज़े पर आया। मेरी सास ने लिफाफा लिया और मेरे हाथ में पकड़ा दिया। उसमें तलाक के कागज़ थे।

    मैं वहाँ से निकलकर अपने मायके पहुँच गई। दरवाज़ा खुला, माँ ने मुझे देखा, कुछ कहना चाहा, लेकिन सिर्फ इतना कह सकीं, “आ जाओ।”

    एक दिन शाम को दरवाज़े पर दस्तक हुई। विराट बाहर खड़ा था। उसने कहा, “माफ करना। मुझे सब कुछ समझने में समय लग गया। तुम दोषी नहीं थी।” वह बोलता रहा। “मैं दिल से तुम्हें अपनाना चाहता हूँ। तुम्हारी तबाह ज़िंदगी में मैं तुम्हारा साथ दूँ।”

    उसने कहा, “मैंने तुम्हारे आरोपियों को जेल पहुँचा दिया है। तुम्हारी सास तुम्हारे सुंदर चेहरे का इस्तेमाल करके लड़कों से पैसे वसूलती थी और बदले में अपनी बेटी उन्हें सौंप देती थी। जब मुझे पूरी सच्चाई का पता चला, तो मैं चुप नहीं बैठा। सोनिया की शादी उस लड़के से तलाक दिलवाकर करवा दी है, और तुम्हारी सास को जेल भेज दिया गया है।”

    विराट ने मेरे माता-पिता से भी इस बारे में बात की थी। माँ ने मुझे देखा और कहा, “बेटी, फैसला तुम्हारा है।”

    अगले दिन वह फिर आया। “मैं चाहता हूँ कि तुम फिर से मेरी ज़िंदगी में आओ। मैंने तुमसे शादी नहीं की थी, लेकिन अब मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ और तुम्हें अपना नाम देना चाहता हूँ।”

    आईने में अपना चेहरा देखा, लेकिन इस बार वह चेहरा खाली नहीं था। दिल में एक ख्याल उभर रहा था: शायद ज़िंदगी मुझे सच के साथ जीने का एक और मौका दे रही थी। दो दिन बाद, मैंने माँ से कहा, “अगर विराट सच कह रहा है, तो शायद मैं एक नई शुरुआत को मौका दे सकती हूँ।”

    मेरी ज़िंदगी एक तूफान से गुज़री थी, लेकिन तूफान के बाद, एक नया सवेरा आया। मैंने सीखा कि सबसे गहरे अंधेरे में भी, हमेशा रोशनी की ओर एक रास्ता होता है। और मैं, वैशाली, अब किसी परदेश में रहने वाले पति की बीवी नहीं, बल्कि इंसाफ दिलाने वाली बेटी, बहू और बहन के रूप में जानी जाती हूँ।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleAfter years of saving, I finally opened my own company and invited my entire family to the grand opening. No one came. They were all at my brother’s housewarming party. As I sat alone in the empty office, cleaning up the leftover ribbons, my phone buzzed — a message from my mother: “We need to talk about the profits. Your brother says he deserves a share.”
    Next Article कर्नल का गुस्सा: बेटी के लिए इंसाफ की लड़ाई

    Related Posts

    मैंने धीरे से दरवाज़ा खोला, अंदर जाकर अपनी पत्नी को पीछे से गले लगाने की सोच रहा था। और फिर, मेरी आँखें जम गईं। मेरी पत्नी करवट लेकर लेटी हुई थी, उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ़ थी। उसने एक जानी-पहचानी गुलाबी पोशाक पहनी हुई थी, लेकिन

    13/10/2025

    मेरी सास मुझे प्रसवपूर्व जाँच के लिए ले गईं। उनके जाते ही एक नर्स ने मेरे कान में फुसफुसाया: “जल्दी भागो, ख़तरे में हो!” अगले दिन, मुझे अपने पति के परिवार का एक भयानक राज़ पता चला।

    13/10/2025

    पति विदेश में काम करने गया था, लेकिन अचानक संपर्क टूट गया। अचानक लौटा तो पत्नी हँसी नहीं, बल्कि दर्दनाक सच्चाई सुनकर फूट-फूट कर रोई।

    13/10/2025
    About
    About

    Your source for the lifestyle news.

    Copyright © 2017. Designed by ThemeSphere.
    • Home
    • Lifestyle
    • Celebrities

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.