शक का तूफ़ान
कभी-कभी ज़िंदगी के सबसे बड़े तूफ़ान बाहर से नहीं आते, बल्कि हमारे दिलों में शक के एक छोटे से बीज से पैदा होते हैं। एक अनजाना मैसेज, एक छिपा हुआ राज़, एक हिलता हुआ भरोसा… यह सब मिलकर एक ऐसे भूकंप को जन्म दे सकते हैं जो एक खुशहाल परिवार को तबाह करने की ताकत रखता हो।
यह कहानी नितिन और पूजा की है, एक ऐसा जोड़ा जिनकी ज़िंदगी हर किसी के लिए एक मिसाल थी, जब तक कि एक अनजान मैसेज ने उनकी ज़िंदगी में दस्तक नहीं दी और उन्हें धोखे, खतरे और अतीत में दबे राज़ों के एक ऐसे बवंडर में खींच लिया। क्या उनका प्यार इस तूफ़ान का सामना कर पाएगा, या फिर यह सच के बोझ तले कुचल जाएगा?
रविवार की शाम दोपहर थी। नितिन अपने बेडरूम में आराम से लेटा हुआ था। उसकी पत्नी, पूजा, किचन में दोपहर का खाना तैयार कर रही थी। करी की महक पूरे घर में फैली हुई थी, जो घर की शांति और सुकून का प्रतीक थी। दोनों की शादी को सात साल हो चुके थे और उनका एक पाँच साल का बेटा, आर्यन, लिविंग रूम में अपनी खिलौना कारों के साथ खेल रहा था। उनका परिवार बेहद खुशहाल था, पड़ोसी भी उनकी मिसाल देते नहीं थकते थे। नितिन और पूजा के रिश्ते में कभी कोई समस्या नहीं थी। कम से कम नितिन तो यही सोचता था।
उस दिन पूजा अपना फोन घर पर ही छोड़कर पास के मार्केट गई थी। अचानक पूजा के फोन पर एक मैसेज आया। नितिन ने शुरुआत में ध्यान नहीं दिया। लेकिन फिर फोन पर लगातार मैसेज आने लगे, जिनकी “टिंग-टिंग” की आवाज़ ने कमरे की शांति भंग कर दी। उत्सुकतावश, नितिन ने फोन उठाकर देखा। स्क्रीन पर लिखा था: “कल तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। कब मिल रही हो फिर से? तुम्हारा इंतजार करूंगा।”
इस मैसेज को पढ़ते ही नितिन के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसके शरीर में एक ठंडी लहर दौड़ गई। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह मैसेज आखिर किसका है और पूजा के फोन पर क्यों आया है। नितिन के मन में हज़ारों अजीब से सवाल उठने लगे। उसने फोन खोल कर देखा तो मैसेज किसी सिद्धार्थ नाम के व्यक्ति ने भेजा था।
नितिन के मन में शक का बीज बोया जा चुका था। यह सिद्धार्थ कौन है? क्या पूजा मुझे धोखा दे रही है? यह सोचकर नितिन बेचैन हो गया। उसने तुरंत पूजा के पुराने मैसेज देखने शुरू किए। सिद्धार्थ के कई मैसेज पहले भी पूजा के फोन पर आ चुके थे, जिनमें मुलाकातों की बातें साफ नजर आ रही थीं। नितिन का दिल बैठ गया। उसका भरोसा टूटने लगा।
पूजा मार्केट से घर लौटी लेकिन उसे देखकर नितिन कुछ बोल नहीं पाया। पूजा ने नितिन का चेहरा देखकर पूछा, “क्या हुआ? तुम ठीक तो हो ना?”
नितिन ने अपने आप को संभालते हुए जवाब दिया, “कुछ नहीं। बस सिर में थोड़ा दर्द है।” लेकिन अंदर ही अंदर नितिन के मन में एक तूफ़ान चल रहा था। उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि पूजा उसे धोखा क्यों दे रही है।
उस रात नितिन ठीक से सो नहीं पाया। उसके मन में शक की जड़ें गहरी हो चुकी थीं। अगले दिन ऑफिस में भी नितिन का मन नहीं लगा। उसने तय किया कि वह इस मामले की तह तक जाकर रहेगा। उसे सच जानना था। आखिर कौन था यह सिद्धार्थ, जिसने उसकी जिंदगी में यह तूफान खड़ा कर दिया था।
उसी दिन शाम को ऑफिस से निकलते हुए उसने पूजा को फोन किया और कहा, “पूजा, आज मुझे ऑफिस के काम से देर हो जाएगी। तुम खाना खा लेना।”
पूजा ने सामान्य आवाज में कहा, “ठीक है, पर ज्यादा देर मत करना। आर्यन भी तुम्हारा इंतजार करता है।”
पूजा के सामान्य व्यवहार पर नितिन का मन कड़वाहट से भर गया। वह सीधे अपने करीबी दोस्त, अभिषेक, से मिलने चला गया। अभिषेक और नितिन बचपन के दोस्त थे और नितिन को उससे बेहतर सलाह देने वाला कोई और नहीं था।
अभिषेक से मिलते ही नितिन ने सारी बात उसे बता दी। अभिषेक सुनते ही बोला, “देख भाई, जल्दबाजी मत कर। एक मैसेज से इतनी जल्दी किसी नतीजे पर मत पहुंच। हो सकता है यह कोई गलतफहमी हो।”
नितिन ने बेचैन होकर कहा, “लेकिन अभिषेक, मैंने खुद उसके फोन में मैसेज देखे हैं। वह सिद्धार्थ नाम का आदमी पूजा से लगातार मिलने की बात कर रहा था।”
अभिषेक ने शांत स्वर में कहा, “देखो नितिन, गुस्से से कोई हल नहीं निकलेगा। पहले यह पता करो कि यह सिद्धार्थ आखिर कौन है? उसके बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचो।”
अभिषेक की सलाह मानते हुए नितिन अगले दिन पूजा का पीछा करने लगा। उसे यकीन था कि अगर पूजा का किसी और के साथ रिश्ता है तो वह जरूर उससे मिलेगी। अगले दो दिन तक नितिन ने पूजा की हर गतिविधि पर नजर रखी लेकिन कुछ संदिग्ध नहीं मिला। नितिन को लगने लगा कि शायद वह गलत सोच रहा था।
लेकिन तीसरे दिन अचानक स्थिति बदल गई। दोपहर के करीब पूजा घर से निकली और नितिन भी छिपते-छिपाते उसका पीछा करने लगा। पूजा एक कॉफी शॉप में पहुंची। नितिन भी पीछा करते हुए वहां पहुंचा और एक कोने में छिप गया। उसने देखा कि एक आदमी पहले से ही टेबल पर बैठा था। पूजा उस व्यक्ति के पास गई और दोनों सहजता से बातें करने लगे। नितिन का दिल तेजी से धड़कने लगा। वह समझ चुका था कि यह वही सिद्धार्थ है। दोनों की दोस्ती साफ नजर आ रही थी। लेकिन अचानक पूजा रोने लगी। नितिन दूर से देख रहा था और उसका मन बेचैन हो रहा था। पूजा और सिद्धार्थ की बातें उसे सुनाई नहीं दे रही थीं, लेकिन साफ था कि पूजा काफी परेशान थी। थोड़ी देर बाद पूजा वहां से चली गई और सिद्धार्थ भी उठकर चला गया।
नितिन तुरंत घर पहुंचा और पूजा के लौटने का इंतजार करने लगा। जब पूजा घर आई तो उसने सामान्य व्यवहार किया। नितिन ने फैसला किया कि अब वह खुलकर सवाल पूछेगा।
रात को डिनर के बाद नितिन ने कहा, “पूजा, मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है।”
पूजा ने चौंकते हुए पूछा, “हाँ बोलो।”
नितिन ने सीधे पूछा, “तुम्हारी सिद्धार्थ से क्या दोस्ती है?”
पूजा एकदम घबरा गई। उसने हड़बड़ा कर कहा, “कौन सिद्धार्थ?”
“जिसके साथ आज तुम कॉफी शॉप में मिली थी,” नितिन ने गुस्से में कहा।
पूजा ने कुछ देर चुप रहने के बाद कहा, “नितिन, मैं तुम्हें सब बताना चाहती थी लेकिन सही वक्त का इंतजार कर रही थी… सिद्धार्थ मेरा कॉलेज का दोस्त है। वो हाल ही में शहर आया है।”
“लेकिन तुमने यह बात मुझसे छुपाई क्यों?” नितिन का गुस्सा साफ नजर आ रहा था।
पूजा की आंखों में आंसू आ गए, “क्योंकि मुझे डर था कि तुम गलत समझोगे… हम सिर्फ अच्छे दोस्त हैं, उससे ज्यादा कुछ नहीं।”
नितिन ने नाराजगी से कहा, “अगर सिर्फ दोस्त हो तो मैसेज में मिलने की बातें क्यों छुपाईं?”
पूजा ने कहा, “वो कुछ परेशानी में है। बस मैं उसकी मदद कर रही हूं, लेकिन मैं तुम्हें सच नहीं बता सकती थी क्योंकि मुझे डर था कि कहीं यह बात तुम गलत समझो।”
नितिन के मन में असमंजस था। उसे पूजा की बात पर पूरी तरह विश्वास नहीं हो पा रहा था। उसने शांत होकर कहा, “अगर तुम सच कह रही हो, तो मुझे उससे मिलवाओ। मैं खुद देखना चाहता हूं कि वह क्या चाहता है।”
पूजा ने एक पल की हिचकिचाहट के बाद कहा, “ठीक है, मैं तुम्हें उससे मिलवाऊंगी। फिर तुम खुद फैसला कर लेना।”
नितिन सहमत हो गया, लेकिन मन के अंदर गहराई तक उसका शक अभी भी बना हुआ था। उसे नहीं पता था कि आने वाले दिन उसकी कल्पना से भी ज्यादा भयानक सच लेकर आने वाले थे।
अगले दिन पूजा ने सिद्धार्थ को घर बुला लिया। सिद्धार्थ घर आया और बड़े ही सम्मान से नितिन से मिला। वह बेहद शांत और विनम्र व्यक्ति लग रहा था।
नितिन ने सीधे पूछा, “सिद्धार्थ, क्या तुम्हें नहीं लगता कि किसी शादीशुदा महिला से अकेले में मिलना ठीक नहीं है?”
सिद्धार्थ ने झिझकते हुए कहा, “सर, मेरी और पूजा की दोस्ती कॉलेज टाइम से है। मैं उसकी बेहद इज्जत करता हूं। हम बस अच्छे दोस्त हैं।”
“तो फिर यह छिपकर मिलने की क्या जरूरत थी?”
सिद्धार्थ कुछ देर चुप रहने के बाद बोला, “दरअसल, पूजा ने मुझसे कुछ बातें शेयर की थीं जो वो आपसे कहने में डर रही थी।”
नितिन चौंका, “ऐसी कौन सी बातें?”
पूजा बीच में बोल पड़ी, “सिद्धार्थ, प्लीज अभी मत बताओ। मैं बाद में खुद बताऊंगी।”
सिद्धार्थ ने सिर झुका लिया और वहां से चला गया। नितिन का शक और गहरा हो गया। उसने पूजा से सख्ती से पूछा, “पूजा, अब तुम मुझसे सच बोलोगी या मैं तुम्हारे घर वालों को बुलाऊं?”
पूजा रो पड़ी। “नितिन, सच यह है कि… सिद्धार्थ मेरा कॉलेज का दोस्त ही नहीं, मेरा पहला प्यार भी था। हमने शादी का वादा भी किया था, लेकिन परिवार की मर्जी के कारण हमारी शादी नहीं हुई। उसके बाद तुम मेरी जिंदगी में आए। मैंने कभी भी शादी के बाद सिद्धार्थ से बात नहीं की। लेकिन कुछ दिन पहले वह अचानक वापस मेरी जिंदगी में आया…”
नितिन का चेहरा उतर गया। “क्यों आया वो तुम्हारी जिंदगी में वापस?”
पूजा ने आंसुओं के साथ कहा, “क्योंकि… उसने अचानक से मेरे सामने एक राज खोल दिया… कि हमारी एक बेटी है… जिसका जन्म तब हुआ था जब हम कॉलेज में साथ थे। उसने कहा कि उसने उस बच्ची को अकेले ही पाला है।”
नितिन यह सुनकर दंग रह गया। उसे यकीन नहीं हुआ कि पूजा के अतीत में ऐसा कुछ हो सकता है। “क्या तुम सच कह रही हो?”
पूजा ने कांपती आवाज में कहा, “हाँ, सिद्धार्थ चाहता था कि मैं एक बार उस बच्ची से मिल लूं। लेकिन मुझे डर था कि यह जानने के बाद तुम मुझे कभी माफ नहीं करोगे।”
नितिन को सदमा लगा था। लेकिन उसने खुद को शांत किया और पूछा, “तो अब क्या करना चाहती हो तुम?”
“मैं बस उस बच्ची को एक बार देखना चाहती हूं। उसके बाद फैसला तुम्हारा है।”
नितिन ने फैसला किया कि वह खुद उस बच्ची से मिलेगा। लेकिन उसे अंदाजा नहीं था कि यह एक मुलाकात उसे एक बड़ी साजिश के जाल में फंसा देगी।
अगले कुछ दिन दोनों के बीच एक तनाव भरी चुप्पी रही। नितिन अंदर ही अंदर इस सच को स्वीकार करने के लिए जूझ रहा था। एक सुबह वे दोनों सिद्धार्थ के बताए पते पर पहुंचे। दरवाजा खुलते ही एक लगभग सात साल की बच्ची खेलती हुई दिखी, जिसकी शक्ल पूजा से बेहद मिलती थी। पूजा अपने आंसू नहीं रोक पाई। सिद्धार्थ ने कहा, “पूजा, यह हमारी बेटी है, अनन्या।” पूजा ने भावुक होकर बच्ची को गले लगा लिया। नितिन दूर खड़ा चुपचाप देख रहा था, उसका मन दुविधा से भरा था।
घर लौटते समय पूजा ने कहा, “क्या हम इसे अपने साथ रख सकते हैं?”
नितिन ने गुस्से में जवाब दिया, “तुम्हें क्या लगता है? यह इतना आसान है। हम परिवार और आर्यन को क्या जवाब देंगे?”
उस रात नितिन सो नहीं पाया। अगले दिन अचानक एक अनजान नंबर से नितिन के फोन पर मैसेज आया: “सिद्धार्थ पर भरोसा मत करो। वह जो दिख रहा है, वैसा बिल्कुल नहीं है।” नितिन घबरा गया। उसने उस नंबर पर कॉल किया लेकिन फोन बंद आ रहा था। शाम को फिर वही अनजान नंबर से मैसेज आया: “तुम्हारी जिंदगी खतरे में है। पूजा और सिद्धार्थ की कहानी अब भी अधूरी है।”
नितिन का शक अब यकीन में बदलने लगा कि सिद्धार्थ की कहानी के पीछे बहुत बड़ा सच छिपा हुआ था।
उसी शाम घर लौटते समय नितिन की गाड़ी के सामने अचानक एक व्यक्ति आया। नितिन ने गाड़ी रोकी और बाहर निकला। व्यक्ति ने धीरे से कहा, “मैं वहीं हूं जिसने तुम्हें मैसेज भेजे थे। मेरा नाम विक्रम है। सिद्धार्थ ने मुझे बर्बाद कर दिया था।”
“क्या मतलब?”
विक्रम ने गंभीरता से कहा, “सिद्धार्थ एक प्रोफेशनल ठग है। वह भोली-भाली लड़कियों को अपने जाल में फंसाकर ब्लैकमेल करता है। तुम्हारी पत्नी उसकी पहली शिकार नहीं है।”
नितिन का गला सूख गया। “लेकिन पूजा तो कह रही है कि सिद्धार्थ उसका कॉलेज का दोस्त था।”
“हाँ, लेकिन पूजा उसकी असलियत नहीं जानती। सिद्धार्थ ने पूजा को झूठ बोला है कि वह उसकी बेटी है। असलियत में वह बच्ची किसी और की है जिसका इस्तेमाल सिद्धार्थ अपने प्लान में करता है। वह पूजा से पैसे ऐंठने की कोशिश करेगा और जब उसका काम पूरा हो जाएगा, वह गायब हो जाएगा।”
नितिन के पैरों तले जमीन खिसक गई। वह तुरंत घर पहुंचा और सारी बात पूजा को बताई। पूजा यह सब सुनकर घबरा गई। अचानक पूजा के फोन पर सिद्धार्थ का मैसेज आया: “अनन्या की तबीयत बहुत खराब है। जल्दी पैसे भेजो।”
नितिन ने समझ लिया कि विक्रम बिल्कुल सही कह रहा था। उसने तुरंत पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और जल्द ही सिद्धार्थ, जिसका असली नाम राहुल वर्मा था, की असलियत सामने आ गई। वह कई मामलों में फरार अपराधी था।
पुलिस ने पूजा की मदद से उसे पकड़ने के लिए एक योजना बनाई। पूजा ने सिद्धार्थ को पैसे देने के बहाने बुलाया। जैसे ही सिद्धार्थ पैसे लेने आया, पुलिस ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया। लेकिन गिरफ्तारी के दौरान सिद्धार्थ ने नितिन पर हमला करने की कोशिश की, जिसमें नितिन गंभीर रूप से घायल हो गया।
अस्पताल में पूजा लगातार भगवान से नितिन की जिंदगी के लिए प्रार्थना कर रही थी। कई घंटों के बाद डॉक्टरों ने बताया कि नितिन अब खतरे से बाहर है। कुछ दिनों बाद नितिन को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। विक्रम की गवाही और पुलिस के सबूतों ने सिद्धार्थ के सारे झूठ उजागर कर दिए। आखिरकार जज ने उसे दोषी पाया और कड़ी सजा सुनाई।
कोर्ट से बाहर निकलते वक्त सिद्धार्थ ने पछतावे से कहा, “मुझे माफ कर दो।”
नितिन ने उसकी तरफ देखा और दृढ़ता से कहा, “तुम्हारी वजह से नहीं, बल्कि मेरी खुद की असुरक्षा और शक की वजह से हमारी जिंदगी में तूफान आया था। तुम्हें सजा कानून देगा, लेकिन मैं भी अपने आप से एक सबक जरूर सीख चुका हूं।”
घर लौटकर नितिन ने पूजा से माफी मांगी और कहा, “पूजा, मुझे तुम्हारे ऊपर शक नहीं करना चाहिए था। शायद यह सारी मुसीबत मेरी गलतफहमी से ही शुरू हुई थी।”
पूजा ने भी भावुक होकर कहा, “नहीं नितिन, मुझे भी अपनी जिंदगी से जुड़े हर सच को तुम्हें पहले ही बता देना चाहिए था।”
दोनों ने एक दूसरे को गले लगा लिया, अपने बीच की हर दूरी को मिटा दिया। धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से सामान्य होने लगी, आर्यन के साथ उनका परिवार फिर से खुशहाल हो गया। उन्होंने सीखा कि किसी भी रिश्ते में भरोसा और खुला संवाद किसी भी तूफ़ान का सामना करने के लिए सबसे मजबूत कवच होते हैं।