उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस विभाग की कमान हाल ही में एसपी रजनी वर्मा ने संभाली थी। रजनी वर्मा को उनके पिछले कार्यकाल में उनकी अटूट ईमानदारी और न्याय के प्रति समर्पण के लिए जाना जाता था। वह जहां भी जाती थीं, अपने काम से एक मिसाल कायम करती थीं। उनकी कार्यशैली इतनी स्पष्ट थी कि भ्रष्टाचारी अधिकारी उनसे दूर भागते थे। उनके कार्य में कोई समझौता नहीं था, और वह हमेशा सही के पक्ष में खड़ी रहती थीं।
उनकी नियुक्ति को अभी एक दिन ही हुआ था कि उनके छोटे भाई आलोक उनसे मिलने लखनऊ पहुंचे। आलोक के चेहरे पर आने वाली शादी की रौनक साफ झलक रही थी। दिवाली से पहले ही उसका विवाह तय हुआ था और वह अपनी बहन को शादी में अपने साथ ले जाने के लिए आया था। “दीदी, अगर आप मेरी शादी में नहीं आईं, तो मैं बिल्कुल शादी नहीं करूंगा,” आलोक ने बचपन की तरह जिद करते हुए कहा। एसपी रजनी वर्मा ने अपने भाई के प्रेम को प्राथमिकता दी। उनका पूरा परिवार अभी लखनऊ शिफ्ट नहीं हुआ था और दफ्तर का काम भी बहुत था, लेकिन भाई के स्नेह के आगे वह रुक नहीं पाई। “ठीक है मेरे भाई,” रजनी ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुम चिंता मत करो। मैं जरूर तुम्हारी शादी में आऊंगी। तुम अपनी तैयारी करो। मैं कल शाम तक तुम्हारे यहां पहुंच जाऊंगी।”
भाई से वादा करने के बाद अगले दिन सुबह-सुबह एसपी रजनी वर्मा शादी और दिवाली के लिए कपड़े खरीदने की तैयारी करने लगीं। उन्होंने सोचा कि वह एक अधिकारी के तौर पर नहीं बल्कि एक सामान्य नागरिक के तौर पर बाजार जाएंगी। वह देखना चाहती थीं कि बिना वर्दी और बिना पद की शक्ति के एक आम नागरिक को बाजार में कैसा अनुभव मिलता है। उन्होंने अपनी सरकारी गाड़ी और वर्दी को छोड़कर एक साधारण सूती सलवार कमीज पहनी और अपनी पर्सनल गाड़ी लेकर लखनऊ के व्यस्त बाजार में निकल पड़ीं। उनका लक्ष्य था बिना किसी दिखावे के एक अच्छी साड़ी खरीदना।
पहले वह कई बड़ी-बड़ी दुकानों पर गईं, लेकिन उन्हें कोई साड़ी पसंद नहीं आई। ऐसे ही घूमते-घूमते उन्हें 2-3 घंटे हो चुके थे। अंत में वह एक अपेक्षाकृत छोटी पर काफी भीड़ वाली दुकान पर पहुंचीं, जिसका नाम था सुरेश साड़ी भंडार। दुकान के मालिक सुरेश एक अनुभवी व्यापारी थे, जिनका ग्राहकों के प्रति व्यवहार बहुत मीठा था। काफी साड़ियां देखने के बाद रजनी वर्मा को एक गहरे रंग की बेहतरीन रेशमी साड़ी पसंद आई। “अंकल, इस साड़ी का दाम क्या है?” रजनी ने पूछा। सुरेश ने तुरंत कहा, “मैडम हमारी दुकान का नियम है फिक्स रेट। आपने बाहर बोर्ड पर देखा होगा। इस साड़ी का दाम ₹3500 है। ₹1 भी कम नहीं होगा।”
रजनी को फिक्स रेट का सिद्धांत पसंद आया। उन्होंने बिना मोलभाव किए तुरंत ₹3500 निकालकर सुरेश को दे दिए। सुरेश ने फटाफट नोट गिने और उन्हें दराज में बंद करके साड़ी पैक कर दी। साड़ी लेकर रजनी संतुष्ट होकर दुकान से बाहर निकलीं और पास की ही एक छोटी दुकान पर कुछ और एक्सेसरीज खरीदने के लिए रुक गईं। यहीं पर कहानी ने अप्रत्याशित मोड़ लिया।
चूड़ी की दुकान में जल्दबाजी में रजनी के हाथ से साड़ी वाला थैला फिसल कर जमीन पर गिर गया और साड़ी बाहर निकल कर थोड़ी फैल गई। जैसे ही रजनी ने साड़ी उठाई, उनकी तेज और पैनी नजर ने साड़ी के कपड़े में एक स्पष्ट डिफेक्ट देखा। उन्होंने साड़ी को पूरी तरह फैला कर देखा और पाया कि साड़ी में कई जगह धागों के गुच्छे, लूप्स और धागे के टूटे हुए सिरे थे, जिसे कपड़ा उद्योग में खासर या मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट कहते हैं। यह ₹3500 की साड़ी में एक गंभीर कमी थी जो उसकी गुणवत्ता को पूरी तरह खराब कर रही थी। यह तो सरासर धोखा है, रजनी ने मन ही मन सोचा।
उन्होंने तुरंत अपनी बाकी की खरीदारी रोकी और गुस्से पर काबू रखते हुए वापस सुरेश साड़ी भंडार पहुंचीं। उन्होंने साड़ी सुरेश के सामने मेज पर रखते हुए कहा, “अंकल, यह साड़ी डिफेक्टिव है। इसमें खासर है। मुझे कोई और साड़ी पसंद नहीं आई। इसलिए आप यह साड़ी वापस लीजिए और मेरे पैसे लौटा दीजिए।” सुरेश का चेहरा तुरंत बदल गया। वह तुरंत सौम्य व्यापारी से कठोर व्यापारी बन गया। डिफेक्ट स्पष्ट था पर वह पैसे वापस करने से बचना चाहता था। उसने तुरंत काउंटर के पास चिपके एक छोटे से पर्चे की ओर इशारा किया जिस पर लिखा था, “बिका हुआ माल वापस नहीं होगा, केवल बदला जाएगा। मैडम यही हमारा नियम है। माल एक बार बिक गया तो बिक गया। आप इसे बदल सकती हैं लेकिन पैसे वापस नहीं होंगे।” सुरेश ने हकड़ कर कहा।
“यह गलत है अंकल। यह डिफेक्टिव माल है। यह आपकी गलती है। उपभोक्ता कानून का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं आप?” रजनी ने अपनी बात समझानी चाही। “बहस मत करो मैडम। आपको दूसरी लेनी है तो लो वरना जाओ। मैं अपने नियम नहीं तोडूंगा।” सुरेश ने चिल्लाकर कहा। रजनी ने अपनी आखिरी दलील दी, “ठीक है। लेकिन मैं इसे अभी तक घर नहीं ले गई हूं। मैं यहीं पास की दुकान पर गई थी और वहीं यह डिफेक्ट सामने आया। यह ग्राहक का नुकसान क्यों हो?” लेकिन सुरेश अपनी बात पर अडिग रहा और बोला, “नहीं मैडम, यह साड़ी वापस नहीं होगी। आप चाहे जो कर लो।”
रजनी वर्मा जानती थीं कि अब यह सिर्फ पैसे का मामला नहीं है। यह आम नागरिक के साथ हो रहे अन्याय का मामला है। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “यह साड़ी आपको वापस करनी होगी वरना मैं यहां से नहीं जाने वाली।” ऐसा कहकर वह दुकान के कोने में बैठ गईं। सुरेश को यह देखकर बहुत गुस्सा आया कि एक महिला उसकी दुकान में हंगामा कर रही है। उसने तुरंत उन्हें पुलिस की धमकी दी, “या तो आप यहां से चली जाएं वरना मैं पुलिस को बुला लूंगा और फिर देख लेना। आपको जेल की हवा खानी पड़ेगी। यहां सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए हैं। आपका हंगामा रिकॉर्ड हो रहा है।”
एसपी रजनी वर्मा के चेहरे पर एक मुस्कान आई। उन्हें वह मौका मिल गया था जिसका उन्हें इंतजार था। “ठीक है अंकल,” रजनी ने शांत आवाज में कहा, “तुम पुलिस को ही बुला लो। कोई बात नहीं। वही आकर हमारा फैसला कर देगी।” सुरेश ने तुरंत फोन लगाया और थाने में शिकायत की। रजनी वर्मा अपने मन में सोच रही थीं कि पुलिस आते ही उन्हें पहचान लेगी या कम से कम एक साधारण नागरिक के साथ ईमानदारी से पेश आएगी।
थोड़ी देर बाद दरोगा महेंद्र सिंह दो हवलदारों के साथ दुकान पर पहुंचे। सुरेश ने तुरंत दरोगा को एक तरफ ले जाकर फुसफुसाते हुए शिकायत बताई और बड़ी चालाकी से अपने हाथ में दबे हुए रिश्वत के नोट दरोगा की जेब में खिसका दिए। एसपी रजनी वर्मा ने अपनी आंखों से खुलेआम हो रही रिश्वतखोरी को देखा। उनकी रणनीति अब पूरी तरह से पक्की हो गई थी। रिश्वत लेने के तुरंत बाद दरोगा महेंद्र सिंह का रवैया पूरी तरह से क्रूर हो गया। वह सीधे रजनी के पास आया और अपमानजनक स्वर में चिल्लाया, “ए औरक क्या तमाशा लगा रखा है? यहां लिखा है कि माल वापस नहीं होगा तो तू क्यों नहीं मानती? तू क्या कानून से बड़ी है?”
रजनी ने शांत रहकर अपनी बात रखी, “दरोगा जी, इस साड़ी में डिफेक्ट है। दुकानदार ने झूठा माल बेचा है। आपको दुकानदार के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए।” दुकानदार सुरेश बीच में आया और झूठा आरोप लगाया, “साहब यह झूठ बोल रही है। हो सकता है इसने साड़ी बदल कर ले आई हो। यह मुझे ब्लैकमेल कर रही है।” रजनी ने अपनी आखिरी दलील दी, “दरोगा जी आप सीसीटीवी फुटेज चेक कर लीजिए। मैं अभी यहीं पास से आई हूं। अगर मैंने साड़ी बदली है तो फुटेज में दिख जाएगा। यह दुकानदार झूठा है।”
दरोगा महेंद्र सिंह जिसने रिश्वत ले ली थी, वो अब इस मामले को रफादफा करना चाहता था। उसने फुटेज चेक करने या जांच करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। “चुप कर तू मुझे कानून मत सिखा।” दरोगा ने रजनी पर चिल्लाया, “ज्यादा बकवास की तो तुझे गिरफ्तार कर लूंगा। तूने सरकारी काम में बाधा डाली और दुकानदार को परेशान किया है।”
एसपी रजनी वर्मा ने तुरंत दरोगा की चुनौती स्वीकार की। “ठीक है दरोगा जी, अगर ऐसी बात है तो आप मुझे गिरफ्तार कर लीजिए। मैं भी तो देखूं कि आप मुझे बिना वजह कैसे बंद कर सकते हैं।” दरोगा महेंद्र सिंह उसकी चुनौती सुनकर आग बबूला हो गया। उसने तुरंत हवलदार को आदेश दिया, “चल उठा रे इसे। इसे पकड़ कर जीप में बिठाओ और थाना लेकर चलो। एक रात हवालात की हवा खाएगी तो इसे पता चलेगा कि कायदा कानून क्या होता है।”
हवलदार जैसे ही रजनी की ओर बढ़ा, रजनी वर्मा ने एक और कानूनी दाव चला। “दरोगा जी,” रजनी ने जोर देकर कहा, “आप कानून के रक्षक हैं। आपको इतना भी नहीं पता कि किसी भी महिला को गिरफ्तार करते वक्त एक महिला पुलिस अधिकारी का होना अनिवार्य है। आप बिना महिला कांस्टेबल के मुझे गिरफ्तार नहीं कर सकते।”
यह सुनकर दरोगा का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। उसे लगा कि यह महिला उसे सबके सामने नीचा दिखा रही है। भीड़ जमा हो चुकी थी। उसने तुरंत वायरलेस पर एक महिला कांस्टेबल को दुकान पर आने का संदेश दिया। उसे लगा कि महिला कांस्टेबल के आते ही वह इस महिला को सबक सिखा देगा। कांस्टेबल पूजा वहां पहुंची। दरोगा ने उसे आदेश दिया, “पूजा इसे पकड़ो और जीप में बिठाओ। थाने ले चलो। इसने दुकानदार को बहुत परेशान किया है।”
महिला कांस्टेबल पूजा ने दरोगा के आदेश का पालन किया और एसपी रजनी वर्मा को पकड़ कर पुलिस जीप में बिठा दिया। बाजार के अंदर सभी लोग यह सब कुछ हैरानी और खामोशी के साथ देख रहे थे। पुलिस के सामने भला कौन बोलेगा? यही सोचकर सब लोग चुप रहे। एसपी रजनी वर्मा जो एक दिन पहले ही शहर की कमान संभालने वाली अधिकारी थीं, उन्हें एक आम मुजरिम की तरह पुलिस जीप में बैठाकर थाने ले जाया गया।
उनके मन में अब जरा भी शक नहीं था कि यह दरोगा भ्रष्टाचार में पूरी तरह डूबा हुआ है और न्याय की जगह रिश्वत का साथ दे रहा है। जैसे ही एसपी रजनी वर्मा थाने पहुंची, दरोगा महेंद्र सिंह ने बिना किसी पूछताछ या लिखापढ़ी के उन्हें सीधे लॉकअप में बंद करने का आदेश दिया। लेकिन थाने के अंदर एक अप्रत्याशित घटना हुई। थाने के अंदर एक पुराना पुलिस कांस्टेबल रमेश मौजूद था जो कुछ दिनों पहले एसपी साहिबा के दफ्तर में ड्यूटी कर चुका था। उसने दूर से ही एसपी रजनी वर्मा को साधारण कपड़ों में मुजरिम की तरह आते हुए देखा तो वह एकदम हैरान रह गया। वह तुरंत समझ गया कि यह कोई साधारण महिला नहीं बल्कि उनकी नई एसपी साहिबा हैं।
रमेश भागकर दरोगा महेंद्र सिंह के पास गया और फुसफुसाकर कहा, “साहब आपने बहुत बड़ी गलती कर दी है। यह…” तभी एसपी रजनी वर्मा ने रमेश को देखा और तुरंत समझ गई कि उसने उन्हें पहचान लिया है। उन्होंने आंखों ही आंखों में रमेश को चुप रहने का इशारा कर दिया। रजनी चाहती थीं कि यह नाटक अपने तार्किक अंत तक पहुंचे ताकि दरोगा को सबक सिखाया जा सके। रमेश तुरंत चुप हो गया, पर उसके चेहरे पर भय और चिंता साफ झलक रही थी।
दरोगा महेंद्र सिंह ने लॉकअप में बंद रजनी वर्मा की तरफ देखकर हंसते हुए कहा, “देखा ज्यादा होशियारी दिखा रही थी। अब एक रात हवालात की हवा खाएगी तो तुझे पता चलेगा कि कायदा कानून क्या होता है।” एसपी रजनी वर्मा अंदर से पूरी तरह शांत थीं लेकिन उन्होंने कानूनी चुनौती देना जारी रखा। “दरोगा महेंद्र सिंह, तुम क्या कर रहे हो? रात के समय तुम मुझे यहां पर रख ही नहीं सकते। तुमने गैरकानूनी तरीके से मेरी गिरफ्तारी की है। क्या तुम इतना भी नहीं जानते कि यह कानूनी जुर्म है?”
रजनी के तर्कों से दरोगा का गुस्सा और भी बढ़ गया। उसे लगा कि यह महिला उसका अधिकार चुनौती दे रही है। उसने चिल्लाकर कहा, “तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे कानून सिखाने की? या तो तू चुप हो जा वरना मैं कुछ महिला कांस्टेबल को भेजकर तेरी अच्छी तरह से पिटाई करवा दूंगा। तुझे सबक सिखाना पड़ेगा। ऐसे भला कैसे तुम कर सकते हो?”
रजनी ने भी पलट कर चुती दी, “हिम्मत है तो करके दिखाओ।” दरोगा महेंद्र सिंह का गुस्सा अब सातवें आसमान पर था। उसने तुरंत दो महिला कांस्टेबलों को बुलाया और उन्हें आदेश दिया, “इसे अच्छे से सबक सिखा दो। इसे शांत कर दो।” महिला कांस्टेबल दरोगा के आदेश का पालन करते हुए लॉकअप की ओर बढ़ी।
जैसे ही महिला कांस्टेबल लॉकअप का दरवाजा खोलने वाली थी, एसपी रजनी वर्मा ने एक अंतिम हुंकार भरी, “खबरदार अगर एक कदम भी आगे बढ़ाया।” इसके बाद उन्होंने धीरे से अपनी जेब से आई कार्ड निकाला जिसे उन्होंने अभी तक छिपाए रखा था और लॉकअप की सलाखों से महिला कांस्टेबलों की ओर लटका दिया। जैसे ही महिला कांस्टेबल की नजर आई कार्ड पर पड़ी जिस पर लिखा था “रजनी वर्मा, पुलिस अधीक्षक, एसपी लखनऊ,” उनके चेहरे का रंग उड़ गया। वे पूरी तरह से हैरान और अचंभित रह गईं। बिना एक पल की देरी किए वे तुरंत अटेंशन पोजीशन में आईं और एसपी साहिबा को जोरदार सैल्यूट मारा।
यह सब देखकर दरोगा महेंद्र सिंह पूरी तरह से कंफ्यूज हो गया। जिस महिला को वह मुजरिम समझ रहा था, उसे कांस्टेबल सल्यूट क्यों मार रही हैं? लॉकअप का दरवाजा खुला और एसपी रजनी वर्मा बाहर आईं। उनके चेहरे पर एक ठोस अधिकारी वाला भाव था जो अब तक साधारण महिला के पीछे छिपा था। बाहर आते ही उन्होंने दरोगा महेंद्र सिंह को धमकाना शुरू कर दिया। दरोगा को माजरा समझते देर नहीं लगी। उसे आभास हो गया कि यह महिला कोई और नहीं बल्कि उसकी नई एसपी साहिबा हैं।
तभी कांस्टेबल रमेश, जिसे रजनी ने चुप रहने को कहा था, आगे आया और सबको बताया कि यह उनकी नई एसपी साहिबा हैं जो ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध हैं। एसपी साहिबा की बात सुनकर थाने के अंदर जितने भी पुलिसकर्मी थे, वे सभी एकदम से उन्हें सैल्यूट मारने लगे। दरोगा महेंद्र सिंह कांपते हुए एसपी रजनी वर्मा के पैरों में गिर पड़ा। दरोगा महेंद्र सिंह के कांपते हुए पैरों में गिर जाने और माफी मांगने के बाद एसपी रजनी वर्मा ने उसे उठाया। उनके चेहरे पर अब दया या नरमी का कोई भाव नहीं था। केवल कठोर न्याय का संकल्प था।
“नहीं,” एसपी रजनी ने दृढ़ता से कहा, “आपने गलती नहीं की है। आपने तो पूरी ईमानदारी से अपना काम किया है।” दरोगा को लगा कि शायद उन्हें माफी मिल गई है। पर रजनी ने अगला वाक्य कहा जिसने दरोगा के दिल में खंजर की तरह चुभा, “मैंने वह भी देखा था।” रजनी ने अपनी आवाज को धीमा पर घातक बनाते हुए कहा, “जब उस दुकानदार ने आपकी जेब में सामान यानी कि रिश्वत डालने की कोशिश की थी। आपने ईमानदारी से काम किया लेकिन तुम्हारी ईमानदारी केवल उस रिश्वतखोरी के प्रति है ना कि सरकार, कानून और आम जनता के प्रति।”
यह सुनकर दरोगा शर्म से पानी-पानी हो गया और माफी मांगने लगा। “यह कोई गलती नहीं थी,” एसपी साहिबा ने कहा, “तुमने गुनाह किया है और इस गुनाह की सजा तुम्हें जरूर मिलेगी।”
एसपी रजनी वर्मा ने तुरंत अपने उच्च अधिकारियों को फोन मिलाया और उन्हें सारी घटना बताई। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा, “फौरन से फौरन इस दरोगा पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।” उच्च अधिकारियों ने भी रजनी वर्मा की ईमानदारी और न्यायप्रियता को देखते हुए उन्हें पूरा सहयोग देने का आश्वासन दिया।
तभी रजनी को अचानक एक अहम बात याद आई। उस दुकानदार सुरेश ने उन्हें धमकी देते हुए कहा था कि इस दुकान में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और तुम्हारी हरकतें पुलिस वालों को मिल जाएंगी। रजनी वर्मा को पता था कि यह सीसीटीवी फुटेज ही उनकी दरोगा की और दुकानदार की सच्चाई का सबसे बड़ा सबूत है।
एसपी रजनी वर्मा तुरंत कांस्टेबल रमेश को साथ लेकर जो अब तक सदमे में था, सुरेश साड़ी भंडार पर पहुंचीं। दुकानदार सुरेश जो अभी भी अपनी दुकान पर बैठा हुआ था, पुलिस की वर्दी में अपनी नई एसपी साहिबा को देखकर थर-थर कांपने लगा। रजनी ने सबसे पहले अपना आई कार्ड दिखाया और फिर कांस्टेबल रमेश से दुकानदार का परिचय करवाया। “यह है आपके जिले की एसपी,” रजनी ने शांत पर दमदार आवाज में कहा, “अब बताओ तुमने मेरे साथ क्या किया था? और तुम मुझे जेल भेजने की धमकी दे रहे थे, क्यों?”
दुकानदार सुरेश ने अपने दोनों हाथ जोड़ लिए और घुटनों पर बैठने लगा, “मैडम मुझे माफ कर दो। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। मैं तो मैं तो कुछ और ही समझ रहा था। प्लीज मुझे माफ कर दो।” दुकान में मौजूद अन्य ग्राहक जिन्होंने रजनी को कुछ देर पहले हंगामा करते देखा था, वे अब एसपी को वर्दी में देखकर हैरान रह गए। बात तुरंत बाजार में फैल गई।
रजनी ने सुरेश को खड़ा किया और उससे तुरंत सीसीटीवी फुटेज की रिकॉर्डिंग मांगी। सुरेश ने डर के मारे तुरंत सारी रिकॉर्डिंग उन्हें दे दी। इसके बाद रजनी वर्मा ने दुकानदार के मालिक सुरेश को एक अंतिम सबक सिखाया। उन्होंने दुकान के बाहर चिपके उस पर्चे की ओर इशारा किया जिस पर लिखा था “बिका हुआ माल वापस नहीं होगा।” सुरेश ने तुरंत वह पर्चा फाड़ दिया और रजनी के पैर पकड़ने की कोशिश की लेकिन रजनी ने उन्हें रोका।
“देखो अंकल,” रजनी ने सभी लोगों के सामने कहा, “आपकी उम्र काफी ज्यादा है। आप मेरे पैर पकड़ते हुए अच्छे नहीं लग रहे। आपने जो गलती की है, ऐसी गलती अब किसी ग्राहक के साथ मत करना। क्योंकि यहां जो भी आपके पास आता है वह ग्राहक होता है और ग्राहक भगवान का रूप होता है। उनके साथ ऐसा ही व्यवहार करें। आज के बाद अगर मैंने आपकी दुकान की कोई भी शिकायत सुनी तो मैं आप पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करूंगी और आपको कोई भी नहीं बचा पाएगा।”
उन्हें चेतावनी देने के बाद रजनी ने दुकानदार से वह ₹3500 वापस लिए और सभी सबूत लेकर दोबारा थाने चली गईं। थाने में एसपी रजनी वर्मा ने उच्च अधिकारियों के सामने सारे सबूत, दरोगा की रिश्वतखोरी, गैरकानूनी गिरफ्तारी और दुकानदार की धोखाधड़ी के सीसीटीवी फुटेज प्रस्तुत किए। दरोगा महेंद्र सिंह को तुरंत निलंबित यानी सस्पेंड कर दिया गया। विभागीय जांच के बाद उस पर भ्रष्टाचार और गैर-कानूनी गिरफ्तारी का केस चला और उसे 3 साल की जेल हुई।
दुकानदार सुरेश पर धोखाधड़ी, डिफेक्टिव माल बेचने और ब्लैकमेलिंग का केस दर्ज हुआ। एसपी रजनी वर्मा ने दुकानदार से वापस लिए गए पैसों से किसी और दुकान से साड़ी खरीदी और अपने भाई की शादी के लिए रवाना हुईं। लेकिन इस पूरे घटनाक्रम में उन्हें काफी देर हो गई। जब उनका भाई आलोक उनसे देर होने का कारण पूछता है तो रजनी वर्मा उन्हें पूरी कहानी विस्तार से बताती हैं।
कहानी सुनने के बाद आलोक थोड़ा उदास हो जाता है। वह कहता है, “बहन यह तो रोज-रोज का है। यहां पर पुलिस वाले ऐसा ही किया करते हैं। आप अकेले कहां तक लड़ेंगी?” एसपी रजनी वर्मा ने अपने भाई को गले लगाया और कहा, “भाई मैं सभी को तो नहीं सुधार सकती लेकिन जहां पर मैं काम करती हूं वहां पर इस चीज की कोशिश तो कर सकती हूं। हो सकता है मेरी कोशिश कुछ हद तक कामयाब हो जाए और जिन-जिन जगहों पर मैं पोस्टिंग करूं वहां पर लोग ईमानदारी से जीना सीख लें।”
एसपी साहिबा ने अपने भाई की शादी अटेंड की और फिर वापस अपनी ड्यूटी पर लौटीं। अब जितने दिनों तक उनकी ड्यूटी लखनऊ में रही उस समय तक वहां का पुलिस विभाग बहुत सतर्क रहा। यह केस सभी लोगों के सामने आ चुका था। जो लोग दुकान पर बैठे हुए थे उन्होंने इस बात को चारों तरफ फैला दिया था और जब यह बात अखबार में छपी थी तब भी यह केस सुर्खियां बटोर रहा था। लोग इस बात को देखकर बहुत ज्यादा सतर्क हो गए थे।
यह कहानी एक ऐसी महिला एसपी की है जिसने न केवल अपने कर्तव्य को निभाते हुए न्याय किया बल्कि समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया। ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सच्चाई के बल पर उन्होंने दिखाया कि अगर हम अपने कार्यों में अडिग रहें तो समाज में बदलाव संभव है। यह हमें यह सिखाती है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी पद पर क्यों ना हो अगर वह अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान हो तो वह अकेले ही बड़े परिवर्तन ला सकता है। एसपी रजनी वर्मा की तरह हमें अपने कार्यों में सच्चाई और ईमानदारी से कभी समझौता नहीं करना चाहिए क्योंकि सत्य की राह पर चलना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन यही राह हमें सही मंजिल तक पहुंचाती है।