न्याय की जीत — सावित्री देवी की संघर्ष गाथा
सुबह का समय था। मधुपुर की संकरी सड़क के किनारे सावित्री देवी अपनी छोटी सी मटकों और मिट्टी के दीयों की दुकान सजाए बैठी थीं। पिछले बीस सालों से यही काम कर रही थीं। यह उनका रोजी-रोटी का साधन था। सावित्री का बेटा राहुल दिल्ली में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और बेटी प्रियंका पास के शहर में एक स्कूल टीचर। दोनों बच्चे अपनी मां को बार-बार शहर आने के लिए कहते, पर सावित्री शहर जाने से मना कर देतीं। उनका मानना था कि उनका छोटा-सा काम ही उनका जीवन है।
लेकिन सावित्री को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि आज का दिन उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल देगा।
सावित्री अपनी मटकों को सहेज रही थीं, तभी एक तेज रफ्तार जीप बाजार में रुकी। जीप से सब इंस्पेक्टर बलदेव सिंह उतरे। उनका चेहरा सख्त था और आंखों में गुस्सा साफ झलक रहा था। वे तेज कदमों से सावित्री की दुकान की ओर बढ़े और जोर से चिल्लाए, “तूने यह क्या गंध मचा रखा है? सड़क पर दुकान लगाकर जाम करवा रही है। तुझे नहीं पता यह गैरकानूनी है।”
सावित्री ने विनम्रता से जवाब दिया, “साहब, मैं तो 20 साल से यहीं दुकान लगाती हूं। कभी कोई दिक्कत नहीं हुई।”
बलदेव ने तंज कसते हुए कहा, “तुम 20 साल से गलत काम कर रही हो। यह सरकारी जमीन है और बिना परमिशन के यहां दुकान लगाना मना है।” बस इतना कहकर उन्होंने अपनी लाठी से सावित्री की दुकान पर जोरदार प्रहार किया। मटके और दीए जमीन पर बिखर गए। कुछ टूट गए और कुछ धूल में लथपथ हो गए।
बाजार में मौजूद लोग तमाशा देखने में मग्न थे। सावित्री की आंखों में आंसू आ गए, लेकिन वह चुप रही। धीरे-धीरे अपने टूटे हुए बर्तनों को समेटने लगीं। बलदेव ने और जोर से चिल्लाया, “अबे, सुनाई नहीं देता? हट जा यहां से, वरना तुझे हवालात में डाल दूंगा।”
सावित्री ने धीमी आवाज में कहा, “साहब, यह मेरा रोजीरोटी का जरिया है। मेरे बच्चे शहर में हैं, मैं अकेली हूं। कृपया मेरे सामान को और नुकसान ना पहुंचाएं।”
बलदेव हंसे, “तो कहीं और जाकर कमाऊं? यह सड़क तुम्हारे बाप की नहीं है।” और एक मटके को लात मार दी, जो छकनाचूर हो गया।
भीड़ में खड़ा एक युवक अमित चुपके से यह सब अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर रहा था। अमित एक स्थानीय कॉलेज स्टूडेंट था जो सामाजिक मुद्दों पर वीडियो बनाता था। उसने सोचा कि यह वीडियो लोगों तक पहुंचाना जरूरी है।
सावित्री ने आंसुओं को छिपाते हुए बिखरे हुए बर्तनों को समेटा और धीरे-धीरे अपनी गठरी बांधकर घर की ओर चल पड़ी। उसके मन में एक ही डर था कि कहीं बच्चों को इस अपमान की खबर न लग जाए, क्योंकि राहुल और प्रियंका बहुत जिद्दी थे और अगर उन्हें पता चला तो वे चुप नहीं बैठेंगे।
उसी शाम अमित ने वीडियो एडिट किया और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। कैप्शन था, “क्या यह इंसाफ है? एक गरीब औरत की रोजी-रोटी छीन ली गई और उसे सरेआम अपमानित किया गया। क्या पुलिस का काम जनता की रक्षा नहीं है?”

वीडियो में साफ दिख रहा था कि बलदेव ने सावित्री के साथ कितनी बदतमीजी की। कुछ ही घंटों में वीडियो वायरल हो गया। लोग इसे शेयर करने लगे, कमेंट करने लगे। Twitter, Facebook और WhatsApp पर यह वीडियो आग की तरह फैल गया।
रात होते-होते यह वीडियो प्रियंका के पास पहुंच गया। वह स्कूल से घर लौटी और मोबाइल चेक करते हुए यह वीडियो देख कर गुस्से से लाल हो गई। उसने तुरंत वीडियो अपने भाई राहुल को भेजा।
राहुल दिल्ली में ऑफिस में था। जब उसने वीडियो देखा, उसका खून खौल उठा। उसने तुरंत प्रियंका को कॉल किया, “प्रियंका, यह क्या है? मां के साथ ऐसा कैसे हो सकता है?”
प्रियंका ने कहा, “भैया, मैं अभी मधुपुर जा रही हूं। उस पुलिस वाले को मैं छोड़ूंगी नहीं।”
राहुल ने कहा, “नहीं, तुम रुको, मैं भी आ रहा हूं। हम मां को अकेले नहीं छोड़ सकते।”
प्रियंका ने समझाया, “भैया, आपकी जॉब छूट जाएगी। मैं छुट्टी ले लूंगी। आप चिंता मत करो।” राहुल ने जिद की, लेकिन प्रियंका ने मना लिया, “मैं मां को लेकर वापस आऊंगी। हम उन्हें शहर में रखेंगे।” राहुल ने आखिरकार हामी भरी, “ठीक है, लेकिन उस पुलिस वाले को सजा जरूर मिलनी चाहिए।”
अगली सुबह प्रियंका ने एक साधारण सूती साड़ी पहनी और बस पकड़कर मधुपुर के लिए निकल पड़ी। बस में बैठे हुए वह बार-बार उस वीडियो को देख रही थी। उसने मन में ठान लिया था कि वह अपनी मां के अपमान का बदला लेगी।
दोपहर तक वह मधुपुर पहुंच गई। घर का दरवाजा खटखटाते ही सावित्री ने दरवाजा खोला। अपनी बेटी को देखकर वह भावुक हो गई। “प्रियंका, तू यहां अचानक कैसे?” सावित्री ने पूछा।
प्रियंका ने मां को गले लगाया और कहा, “मां, मुझे सब पता चल गया।”
“आपने मुझे क्यों नहीं बताया?” सावित्री ने नजरें झुकाते हुए कहा, “बेटी, मैं नहीं चाहती थी कि तुम लोग परेशान हो। पुलिस वालों से क्या उलझना?”
प्रियंका ने गुस्से से कहा, “नहीं मां, यह गलत है। उसने आपकी इज्जत पर हमला किया। मैं उसे सजा दिलवाऊंगी।”
सावित्री ने डरते हुए कहा, “बेटी, छोड़ दे। पुलिस वालों का क्या भरोसा? कहीं तुझे कुछ कर न दें।”
लेकिन प्रियंका ने कहा, “मां, मैं डरने वाली नहीं हूं। मैं एक टीचर हूं। मैं बच्चों को सच और इंसाफ सिखाती हूं। अब मैं इसे सच कर दिखाऊंगी।”
प्रियंका ने सीधे मधुपुर पुलिस स्टेशन पहुंची। वहां बलदेव सिंह मौजूद नहीं था, लेकिन एक कांस्टेबल और एक हवलदार बैठे थे। प्रियंका ने हवलदार से कहा, “मुझे सब इंस्पेक्टर बलदेव सिंह के खिलाफ शिकायत दर्ज करवानी है। उन्होंने मेरी मां के साथ बदतमीजी की, उनकी दुकान तोड़ी और उन्हें अपमानित किया।”
हवलदार हंसते हुए बोला, “अरे, तुम उस बूढ़ी औरत की बेटी हो? बलदेव जी ने तो उसे सबक सिखाया था। सड़क पर दुकान लगाना गलत है।”
प्रियंका का गुस्सा भड़क गया। “क्या आप मुझे कानून सिखाएंगे? मुझे कानून पता है। सड़क पर दुकान लगाना गलत हो सकता है, लेकिन किसी को मारना और अपमानित करना अपराध है।”
हवलदार चौंका, “तुम कौन होती हो हमें धमकाने वाली?”
प्रियंका ने अपना सरकारी आईडी कार्ड निकाला जो उसकी स्कूल टीचर की पहचान थी। “मैं प्रियंका शर्मा, सरकारी स्कूल की टीचर हूं और मैं आप सबको सजा दिलवाऊंगी।”
हवलदार घबरा गया। “मैडम, आपको सब इंस्पेक्टर से बात करनी होगी।”
तभी बलदेव सिंह थाने में दाखिल हुआ। उसने प्रियंका को देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “क्या बात है मैडम? शिकायत करने आई हो?”
प्रियंका ने सख्त लहजे में कहा, “हां, तुमने मेरी मां को सरे राह अपमानित किया। तुम्हें इसकी सजा मिलेगी।”
बलदेव ने हल्के से हंसते हुए कहा, “देखो, छोटी-मोटी बातें होती रहती हैं। ज्यादा बड़ा मत बना।”
प्रियंका ने जवाब दिया, “यह छोटी बात नहीं, यह इज्जत की बात है। मैं तुम्हें दिखाऊंगी कि कानून क्या होता है।”
प्रियंका थाने से निकलकर सीधे जिला मुख्यालय पहुंची। वहां उसने डीएसपी रमेश यादव से मुलाकात की। उसने वीडियो दिखाया और पूरी बात बताई।
रमेश ने गंभीरता से कहा, “यह गंभीर मामला है। लेकिन हमें और सबूत चाहिए। क्या आपके पास कोई गवाह है?”
प्रियंका ने कहा, “हां।”
जिस लड़के ने वीडियो बनाया था, अमित को फोन किया और उससे मिलने गई। अमित ने पूरा वीडियो और अपनी गवाही देने की हामी भरी।
प्रियंका उसे लेकर वापस डीएसपी ऑफिस पहुंची। डीएसपी ने वीडियो देखा और अमित से पूरी घटना की जानकारी ली। सबूत पुख्ता थे। बलदेव का आक्रामक व्यवहार, सावित्री के सामान को नष्ट करना और सार्वजनिक अपमान सब कुछ साफ दिख रहा था।
रमेश ने आत्मविश्वास दिया कि आंतरिक जांच शुरू की जाएगी, लेकिन चेतावनी भी दी कि केवल वायरल वीडियो से ठोस कार्रवाई नहीं हो सकती। इसके लिए औपचारिक प्रक्रिया, अतिरिक्त गवाह और गहन जांच आवश्यक थी।
प्रियंका का दिल थोड़ा बैठ गया। वह जानती थी कि सिस्टम कैसे काम करता है। बलदेव सिंह कोई साधारण पुलिस वाला नहीं था, उसकी स्थानीय प्रशासन में गहरी पैठ थी।
फिर भी प्रियंका पीछे हटने वाली नहीं थी। उसने रमेश से सख्त लहजे में कहा, “मैं और सबूत लाऊंगी।”
घर लौटकर प्रियंका अपनी मां के पास बैठी। “बेटी, तू इतनी तकलीफ क्यों उठा रही है?” सावित्री ने कांपती आवाज में पूछा, “यह लोग बहुत ताकतवर हैं, कहीं तुझे कुछ हो गया तो?”
प्रियंका ने जवाब दिया, “आपने मुझे सही के लिए लड़ना सिखाया है। यह सिर्फ आपके बारे में नहीं है, यह हर उस इंसान के बारे में है जिसे इनके जूतों तले कुचला गया है।”
प्रियंका का पहला कदम था गवाहों को ढूंढना। अमित का वीडियो मजबूत था, लेकिन एक अकेला सबूत बलदेव जैसे रसूखदार अफसर के खिलाफ शायद काफी न हो।
उसने बाजार के उन दुकानदारों से संपर्क किया जिन्होंने घटना देखी थी। ज्यादातर लोग डर की वजह से चुप थे, लेकिन एक बुजुर्ग फल विक्रेता रामू काका बोलने को तैयार हो गया।
“सावित्री मेरी बहन जैसी है। उसने भावुक स्वर में कहा, ‘बलदेव ने जो किया वह गलत था। मैं सच बोलूंगा, लेकिन तुम्हें हमारी रक्षा करनी होगी।’”
प्रियंका ने कहा, “कोई आपको छू भी नहीं सकता।”
प्रियंका ने स्थानीय पत्रकार अंजलि मिश्रा से भी संपर्क किया, जो एक निडर ऑनलाइन न्यूज पोर्टल चलाती थी। अंजलि ने वायरल वीडियो देखा था और मदद करने को उत्सुक थी।
एक सड़क किनारे की चाय की दुकान पर चाय पीते हुए अंजलि ने कहा, “यह पहली बार नहीं है जब बलदेव ने अपनी ताकत दिखाई है। वह सालों से दुकानदारों से हफ्ता वसूल रहा है। तुम्हारी मां का मामला तो बस शुरुआत है।”
प्रियंका की आंखें चौड़ी हो गईं, “क्या आपके पास कोई सबूत है?”
अंजलि ने सिर हिलाया, “ठोस सबूत तो नहीं, लेकिन कई कहानियां सुनी हैं। अगर कुछ दुकानदार रिकॉर्ड पर बोलने को तैयार हो जाएं तो हम पूरा रैकेट बेनकाब कर सकते हैं।”
इधर दिल्ली में राहुल इंतजार नहीं कर सका। उसने अपनी टेक कंपनी में एक हफ्ते की छुट्टी ली और अगली ट्रेन से मधुपुर के लिए निकल पड़ा।
जब वह घर पहुंचा तो प्रियंका को अपनी रणनीति बनाते पाया। सावित्री चुपचाप चाय बना रही थीं, लेकिन अपने बच्चों के इस तूफान से अभी भी परेशान थीं।
“प्रियंका, तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?” राहुल ने अपनी बहन को गले लगाते हुए कहा, “मैं अब यहां हूं, हम इसे साथ में करेंगे।”
राहुल के पास एक अलग दृष्टिकोण था। “यह वीडियो हमारा सबसे बड़ा हथियार है।”
उसने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इसे फर्जी या छेड़छाड़ किया हुआ न कहा जाए। मैं वीडियो के मेटा का विश्लेषण करूंगा ताकि यह साबित हो सके कि यह असली है। साथ ही मैं बलदेव की डिजिटल गतिविधियों, सोशल मीडिया, बैंक लेनदेन और कुछ भी जो भ्रष्टाचार का पैटर्न दिखा सके, उसकी जांच करूंगा।”
प्रियंका मुस्कुराई, “तू जीनियस है भैया। हम इसे हर तरफ से मारेंगे।”
दोनों ने मिलकर योजना बनाई। प्रियंका गवाहों के बयान इकट्ठा करेगी और अंजलि के साथ मिलकर मीडिया कैंपेन चलाएगी। राहुल डिजिटल फॉरेंसिक्स करेगा और दिल्ली में कानूनी सहायता लेगा।
अगले दो दिनों में प्रियंका और अंजलि ने बाजार में दुकानदारों से बात की। यह आसान नहीं था। कई लोग बलदेव के प्रभाव से डरते थे, लेकिन वायरल वीडियो ने गुस्से की लहर पैदा कर दी थी।
एक सब्जी बेचने वाली लक्ष्मी देवी सामने आई और बताया कि बलदेव ने उससे हर हफ्ते पैसे मांगे ताकि वह अपनी दुकान चला सके। एक चाय वाला मुन्ना ने बताया कि मुफ्त चाय न देने पर उसे थप्पड़ मारा गया था।
धीरे-धीरे कई आवाजें एक साथ उठने लगीं, जो सावित्री के मामले को मजबूत कर रही थीं।
इधर राहुल ने रात-रात जागकर काम किया। उसने वीडियो की प्रामाणिकता सत्यापित की। यह पक्का किया कि उसमें कोई छेड़छाड़ नहीं हुई। उसने बलदेव के सोशल मीडिया प्रोफाइल भी खंगाले, जहां उसने महंगी घड़ियां और छुट्टियों की तस्वीरें पोस्ट की थीं, जो एक सब इंस्पेक्टर की तनख्वाह से कहीं ज्यादा थीं।
राहुल ने सार्वजनिक रिकॉर्ड्स में खोजबीन की और बलदेव की पत्नी के नाम पर कई संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन पाया, जो मनी लॉन्ड्रिंग की ओर इशारा कर रहा था।
उसने यह जानकारी शालिनी को दी, जिन्होंने सलाह दी कि वे एक आरटीआई सूचना का अधिकार अनुरोध दाखिल करें।
तीसरे दिन तक भाई-बहन के पास एक मजबूत डोजियर तैयार था। मूल वीडियो, पांच दुकानदारों के बयान, रामू काका का हलफनामा। प्रियंका इसे लेकर डीएसपी रमेश यादव के पास गई।
रमेश प्रभावित हुए। उन्होंने सुझाव दिया कि वे इस मामले को जिला मजिस्ट्रेट अनुराधा वर्मा तक ले जाएं, जो अपनी ईमानदारी के लिए जानी जाती थीं।
अनुराधा ने वीडियो देखा, बयान पढ़े और रामू काका से व्यक्तिगत रूप से घटना सुनी। उनका चेहरा सख्त हो गया। उन्होंने कहा, “मैं तुरंत जांच का आदेश दे रही हूं।” उन्होंने पुलिस अधीक्षक विक्रम राठौर को बुलाया और बलदेव सिंह और हवलदार महेश कुमार को जांच लंबित होने तक निलंबित करने का निर्देश दिया।
अनुराधा ने अगले दिन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की घोषणा की। खबर आग की तरह फैल गई। सुबह तक जिला मुख्यालय पर स्थानीय और राष्ट्रीय पत्रकारों की भीड़ जमा हो गई।
कॉन्फ्रेंस हॉल खचाखच भरा था। अनुराधा मंच पर आईं, “मधुपुर में एक गंभीर अन्याय हुआ है। एक गरीब महिला सावित्री देवी को सब इंस्पेक्टर बलदेव सिंह ने अपमानित किया और हमला किया। हमारे पास सबूत, गवाह और इंसाफ के लिए प्रतिबद्धता है।”
हॉल में सनसनी फैल गई। तभी प्रियंका मंच पर आईं, एक साधारण नीली साड़ी में।
“मैं प्रियंका शर्मा, सरकारी स्कूल की टीचर और सावित्री देवी की बेटी हूं। मेरी मां का एकमात्र अपराध था कि वह ईमानदारी से अपनी आजीविका कमा रही थीं। बलदेव सिंह ने सोचा कि वह गरीब और अकेली है, इसलिए उसका आत्मसम्मान कुचल सकता है। लेकिन वह अकेली नहीं है। मैं यहां हूं, मेरा भाई यहां है और मधुपुर के लोग यहां हैं।”
हॉल तालियों से गूंज उठा। पत्रकारों ने सवाल दागने शुरू किए, “क्या बलदेव को गिरफ्तार किया जाएगा? क्या और भी अफसर इसमें शामिल हैं?”
प्रियंका ने शांति से जवाब दिया, “हम सिर्फ अपनी मां के लिए नहीं बल्कि हर उस दुकानदार के लिए इंसाफ चाहते हैं जिसे लूटा गया या अपमानित किया गया। बलदेव और महेश सिर्फ शुरुआत हैं। हमारे पास व्यवस्थित भ्रष्टाचार के सबूत हैं और हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक सिस्टम साफ नहीं हो जाता।”
अनुराधा ने घोषणा की, “सब इंस्पेक्टर बलदेव सिंह और हवलदार महेश कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। एक विभागीय जांच शुरू हो चुकी है और हम उनके खिलाफ हमले और सत्ता के दुरुपयोग के लिए आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर रहे हैं। यह मामला जवाबदेही के लिए एक मिसाल बनेगा।”
बलदेव सिंह और महेश कुमार को निलंबन का आदेश थाने में पहुंच चुका था। थाने में सिपाहियों के बीच खलबली मच गई थी। बलदेव का चेहरा गुस्से से लाल था। उसने निलंबन पत्र को मेज पर पटक दिया और चिल्लाया, “यह लड़की मुझे बर्बाद करना चाहती है। मैं उसे दिखा दूंगा कि बलदेव सिंह कौन है।”
हवलदार महेश ने उसे शांत करने की कोशिश की, लेकिन बलदेव का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ। उसने अपने पुराने दोस्त, स्थानीय नेता रमाकांत यादव को फोन लगाया।
रमाकांत का इलाके में अच्छा खासा रसूख था और वह बलदेव का पुराना साथी था।
“रमाकांत भाई, मुझे बचाओ। यह लड़की और उसका भाई मुझे जेल भेजवाने पर तुले हैं।”
रमाकांत ने शांत स्वर में जवाब दिया, “चिंता मत करो बलदेव, मैं कुछ करता हूं। लेकिन तुम्हें भी चुप बैठना होगा। कोई गलत कदम मत उठाना।”
रमाकांत ने बलदेव को बचाने के लिए अपने स्तर पर काम शुरू कर दिया। उसने कुछ स्थानीय गुंडों को हायर किया और सावित्री के परिवार को धमकाने की योजना बनाई। साथ ही उसने एक वकील हरिशंकर तिवारी को नियुक्त किया जो भ्रष्टाचार के मामलों में माहिर था।
हरिशंकर ने बलदेव के लिए एक जवाबी मुकदमा तैयार किया कि वह इसे कोर्ट में लंबा खींच सकता है।
रमाकांत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुलाई जिसमें उसने बलदेव का बचाव किया। कहा, “मधुपुर की सड़कों को साफ रखना पुलिस का काम है। सावित्री देवी ने नियम तोड़ा और बलदेव ने केवल अपना कर्तव्य निभाया। यह सब एक साजिश है जिसमें कुछ लोग पुलिस की छवि खराब करना चाहते हैं।”
शालिनी ने प्रियंका और राहुल को स्थानीय कोर्ट में केस दाखिल करने की सलाह दी। उन्होंने बलदेव और महेश के खिलाफ आईपीसी की धारा 323 (मारपीट), 506 (धमकी) और पुलिस आचार संहिता के उल्लंघन का केस दर्ज किया।
अनुराधा ने एक विशेष जांच कमेटी गठित की जिसमें तीन वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और एक रिटायर्ड जज शामिल थे। कमेटी को एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया गया।
प्रियंका और राहुल ने कमेटी को सारे सबूत सौंपे। वीडियो, गवाहों के बयान और बलदेव के वित्तीय रिकॉर्ड।
बलदेव और रमाकांत ने हार नहीं मानी। उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें दावा किया कि वीडियो फर्जी है और सावित्री ने जानबूझकर पुलिस को बदनाम करने की साजिश रची। रमाकांत ने कुछ स्थानीय लोगों को पैसे देकर झूठे बयान दिलवाए कि सावित्री ने सड़क पर जाम लगाया था।
लेकिन प्रियंका और राहुल तैयार थे। राहुल ने वीडियो की मेटाडेटा रिपोर्ट तैयार की जिसमें साफ था कि वीडियो असली है। अमित ने कोर्ट में गवाही दी कि उसने वीडियो अपनी आंखों के सामने रिकॉर्ड किया था। रामू काका और अन्य दुकानदारों ने भी सावित्री के पक्ष में बयान दिए।
शालिनी ने कोर्ट में मजबूत दलील पेश की, “यह मामला सिर्फ एक महिला का नहीं है, यह उन हजारों लोगों की आवाज है जो सत्ता के दुरुपयोग का शिकार होते हैं। बलदेव सिंह ने ना केवल सावित्री देवी को अपमानित किया बल्कि पूरे सिस्टम को कलंकित किया है।”
कई हफ्तों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया। जज ने बलदेव सिंह और महेश कुमार को दोषी ठहराया। बलदेव को 6 महीने की जेल और 1 लाख का जुर्माना जबकि महेश को 3 महीने की जेल और 500 रुपये का जुर्माना सुनाया गया।
कोर्ट ने रमाकांत की याचिका को खारिज कर दिया और भविष्य में ऐसी साजिशों से दूर रहने की चेतावनी दी।
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बलदेव के भ्रष्टाचार के कई और मामले उजागर किए। इसके आधार पर पुलिस मुख्यालय ने बलदेव को स्थाई रूप से बर्खास्त कर दिया।
जब यह खबर सावित्री के घर पहुंची, तो प्रियंका और राहुल ने उन्हें गले लगाया। सावित्री की आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा, “तुम दोनों ने मेरा सिर ऊंचा कर दिया।”
प्रियंका ने कहा, “मां, यह जीत सिर्फ हमारी नहीं बल्कि हर उस इंसान की है जो अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है। याद रखो, कानून का सम्मान करो और भ्रष्टाचार के खिलाफ हमेशा आवाज उठाओ। अगर हम सब मिलकर खड़े होंगे तो कोई भी ताकत हम पर हावी नहीं हो पाएगी।”
इंसाफ ने जीत हासिल की और यह कहानी एक मिसाल बन गई कि जब सच, सबूत और हिम्मत एक साथ हो तो सबसे ताकतवर भी कानून से नहीं बच सकता।
समाप्त