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      My husband insulted me in front of his mother and sister — and they clapped. I walked away quietly. Five minutes later, one phone call changed everything, and the living room fell silent.

      27/08/2025

      My son uninvited me from the $21,000 Hawaiian vacation I paid for. He texted, “My wife prefers family only. You’ve already done your part by paying.” So I froze every account. They arrived with nothing. But the most sh0cking part wasn’t their panic. It was what I did with the $21,000 refund instead. When he saw my social media post from the same resort, he completely lost it…

      27/08/2025

      They laughed and whispered when I walked into my ex-husband’s funeral. His new wife sneered. My own daughters ignored me. But when the lawyer read the will and said, “To Leona Markham, my only true partner…” the entire church went de:ad silent.

      26/08/2025

      At my sister’s wedding, I noticed a small note under my napkin. It said: “if your husband steps out alone, don’t follow—just watch.” I thought it was a prank, but when I peeked outside, I nearly collapsed.

      25/08/2025

      At my granddaughter’s wedding, my name card described me as “the person covering the costs.” Everyone laughed—until I stood up and revealed a secret line from my late husband’s will. She didn’t know a thing about it.

      25/08/2025
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    Home » जिस हॉस्पिटल में पति डॉक्टर था ,उसी में डिलीवरी के लिए आई तलाकशुदा पत्नी, फिर जो हुआ..
    India Story

    जिस हॉस्पिटल में पति डॉक्टर था ,उसी में डिलीवरी के लिए आई तलाकशुदा पत्नी, फिर जो हुआ..

    rinnaBy rinna23/10/20256 Mins Read
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    दूसरा मौका: आकाश और नेहा की कहानी

    अस्पताल की इमरजेंसी वार्ड में अफरातफरी का माहौल था। हर तरफ तेज़ आवाज़ें, दौड़ती-भागती नर्सें, और मरीजों की चिंता के मिक्सर में डूबा हुआ माहौल था। स्ट्रेचर पर एक गर्भवती महिला, नेहा, दर्द से कराह रही थी। उसका चेहरा पसीने से भीगा हुआ था, और उसकी आँखों में गहरी चिंता साफ़ झलक रही थी। उसकी छोटी-छोटी सांसें तेज़ हो रही थीं, और हर पल ऐसा लग रहा था कि वह किसी बड़ी परेशानी से जूझ रही है।

    सिस्टर अंजू ने धीरे से नेहा का हाथ पकड़ते हुए कहा, “घबराओ मत नेहा, आप अब सुरक्षित हैं। डॉक्टर बस आते ही होंगे।”

    नेहा ने ज़ोर से हाँ में सिर हिलाया, लेकिन उसके चेहरे की पीड़ा कम होने का नाम नहीं ले रही थी। उसकी नजरें धुंधली हो रही थीं, लेकिन वह हिम्मत बनाए रखने की पूरी कोशिश कर रही थी।

    इसी बीच, सफेद कोट पहने डॉक्टर आकाश तेजी से इमरजेंसी वार्ड में दाखिल हुए। उनकी आंखों में प्रोफेशनलिज्म के साथ-साथ एक अजीब सी बेचैनी भी थी। उन्होंने जूनियर डॉक्टर से पूछा, “क्या हुआ है इन्हें?”

    जूनियर डॉक्टर ने जवाब दिया, “सर, ये 7 महीने की गर्भवती हैं। अचानक पेट में तेज़ दर्द और ब्लीडिंग शुरू हो गई है।”

    आकाश मरीज की तरफ बढ़े और जैसे ही उनकी नजर नेहा के चेहरे पर पड़ी, वे एक पल के लिए ठहर गए। उनके चेहरे का रंग उड़ गया। यह नेहा थी, उनकी पूर्व पत्नी, जिससे उनका तलाक छह महीने पहले ही हुआ था। आकाश के मन में कई भाव उमड़ने लगे—चिंता, पुरानी यादें, और शायद पछतावा भी।

    नेहा भी आकाश को देख हैरान रह गई। दर्द के बीच उसकी आंखों में पुराने जख्म हरे हो गए थे। दोनों की नजरें मिलीं, और एक पल के लिए समय थम सा गया।

    नेहा को प्राइवेट रूम में शिफ्ट कर दिया गया। वह बिस्तर पर लेटी थी, और उसके हाथ में ड्रिप लगी हुई थी। सिस्टर अंजू उसके पास खड़ी थीं। उन्होंने नेहा से कहा, “अब आप खतरे से बाहर हैं, लेकिन आपको पूरी तरह आराम करना होगा।”

    नेहा ने धीमी आवाज़ में पूछा, “मेरा बच्चा… वह ठीक है ना?”

    सिस्टर अंजू मुस्कुराईं, “हाँ, आपका बच्चा बिल्कुल ठीक है। डॉक्टर आकाश ने ही आपका केस संभाला है। वे शहर के सबसे अच्छे डॉक्टरों में से एक हैं।”

    नेहा की आंखों में आंसू आ गए। जिस इंसान से उसने सारे रिश्ते तोड़ दिए थे, आज वही उसके और उसके बच्चे का जीवन बचाने वाला था।

    तभी दरवाजा खुला और आकाश अंदर आए। सिस्टर अंजू माहौल को समझकर बाहर चली गईं। कमरे में एक अजीब सी खामोशी छा गई।

    आकाश हिचकिचाते हुए बोले, “अब कैसा महसूस कर रही हो?”

    नेहा बिना उनकी तरफ देखे बोली, “पहले से बेहतर हूँ।”

    आकाश ने गंभीरता से कहा, “तुम्हें अपना ख्याल रखना चाहिए था, नेहा। इस हालत में अकेले नहीं रहना चाहिए था।”

    नेहा ने उनकी आंखों में देखते हुए कहा, “आवाज़ में दर्द था, ‘अकेले रहने की आदत डालनी पड़ती है, डॉक्टर साहब।’”

    यह बात आकाश के दिल को चीर गई। वे कुछ कहना चाहते थे, लेकिन शब्द उनके गले में अटक गए।

    खिड़की से सुबह की हल्की धूप कमरे में आ रही थी। नेहा अब पहले से काफी बेहतर महसूस कर रही थी। आकाश रात भर अस्पताल में ही रुके थे और बार-बार नेहा की खबर लेते रहे।

    सिस्टर अंजू ने नेहा के लिए नाश्ता लेकर आईं। उन्होंने कहा, “डॉक्टर आकाश ने रात भर आपकी बहुत चिंता की। एक बार भी घर नहीं गए।”

    यह सुनकर नेहा के चेहरे पर एक अजीब सा भाव आया। उसे वे दिन याद आए जब आकाश उसके लिए इसी तरह परेशान हुआ करते थे।

    थोड़ी देर बाद आकाश फिर से कमरे में आए, उनके हाथ में नेहा की रिपोर्ट्स थीं।

    “तुम्हारी रिपोर्ट्स नॉर्मल हैं,” उन्होंने कहा, “लेकिन कुछ दिन और निगरानी में रहना होगा।”

    नेहा ने आभार व्यक्त किया।

    आकाश पास आकर बैठते हुए बोले, “मुझे पता है कि हमारे बीच जो कुछ भी हुआ, तुम मुझसे उस बारे में बात नहीं करना चाहती, लेकिन मैं करना चाहता हूँ।”

    नेहा बीच में टोकते हुए बोलीं, “मुझसे कोई बात मत करो।”

    आकाश बोले, “अगर मैंने तुम्हें उस दिन रोका होता तो शायद आज हम यहाँ नहीं होते।”

    नेहा की आंखों में आंसू थे, “लेकिन आपने नहीं रोका। आपने अपने काम को, अपने करियर को मुझसे ज्यादा जरूरी समझा।”

    आकाश के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे। यह आंसू खुशी के थे, एक नई शुरुआत के थे।

    उस दिन अस्पताल की उन दीवारों ने ना सिर्फ एक मां और बच्चे की जान बचाई, बल्कि दो टूटे हुए दिलों को फिर से जोड़ भी दिया था।

    कभी-कभी जिंदगी हमें दूसरा मौका जरूर देती है। बस उसे पहचानने की जरूरत होती है।

    नेहा की तबीयत में सुधार होने लगा। आकाश हर दिन अस्पताल आते, नेहा की देखभाल करते और उसके साथ बिताए पलों में पुरानी यादों को ताजा करते।

    धीरे-धीरे दोनों के बीच की दूरी कम होने लगी। वे फिर से एक-दूसरे के करीब आने लगे। आकाश ने नेहा को समझाया कि वह हमेशा उसके और बच्चे के लिए वहां रहेगा।

    नेहा ने भी अपने दिल के जख्मों को भरने का फैसला किया। उन्होंने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक नई शुरुआत की।

    कुछ महीनों बाद, नेहा ने एक सुंदर बच्ची को जन्म दिया। आकाश ने जन्म के समय नेहा का पूरा साथ दिया। उन्होंने वादा किया कि वे हमेशा परिवार के लिए जिम्मेदार रहेंगे।

    दोनों ने अपने रिश्ते को फिर से संवारने की कोशिश की। हालांकि वे पति-पत्नी नहीं रहे, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे के लिए सम्मान और दोस्ती बनाए रखी।

    उनकी कहानी ने अस्पताल के कई कर्मचारियों और मरीजों को यह सिखाया कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, दूसरा मौका हमेशा होता है।

    समय बीतता गया, और आकाश ने नेहा और बच्चे के लिए एक सुरक्षित और खुशहाल जीवन बनाने की पूरी कोशिश की।

    उनका रिश्ता अब केवल पति-पत्नी का नहीं, बल्कि एक मजबूत दोस्ती और परिवार की तरह था।

    नेहा ने भी आकाश की मदद से अपनी पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी नौकरी पाई।

    दोनों ने मिलकर अपने बच्चे के लिए एक उज्जवल भविष्य की नींव रखी।

    यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कभी-कभी टूटे हुए रिश्ते भी फिर से जुड़ सकते हैं, अगर हम दिल से कोशिश करें और एक-दूसरे को समझने की कोशिश करें।

    दूसरा मौका एक वरदान है, जो हमें नए सिरे से जीने और प्यार करने का अवसर देता है।

    अंत

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